समाजिक कार्यों से जुड़कर विकास का दीप जलाते हैं कुलदीप - बांदा के कुलदीप आरटीआई के माध्यम से उठाते हैं विकास की मांग

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक ऐसे 'आरटीआई मैन' हैं जो जन सूचना के अधिकार को विकास का हथियार बना लिया है। एक दशक में लगभग छह हजार आरटीआई मांग चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा विकास कार्यों से सबंधित हैं।

समाजिक कार्यों से जुड़कर विकास का दीप जलाते हैं कुलदीप - बांदा के कुलदीप आरटीआई के माध्यम से उठाते हैं विकास की मांग

 उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक ऐसे 'आरटीआई मैन'   हैं जो जन सूचना के अधिकार को विकास का हथियार बना लिया है। एक दशक में लगभग छह हजार आरटीआई मांग चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा विकास कार्यों से सबंधित हैं। आरटीआई से ही जरूरतमंदों की मदद करते हैं।


बांदा शहर के आवास विकास निवासी कुलदीप शुक्ला जिन्हें लोग अब 'आरटीआई मैन' कहने लगे हैं। आप छात्र जीवन से ही समाज सेवा में सक्रिय हैं। वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ। इसके दो साल बाद यानी वर्ष 2007 से आपने जनसूचना मांगनी शुरू कर दी थी। कुलदीप बताते हैं कि  24 अगस्त 2007 को पहली आरटीआई बांदा शहर में कचहरी रेलवे क्रासिंग ओवर ब्रिज निर्माण की मांगी थी क्योकि इस जगह रेलवे क्रासिंग बंद होने पर जाम की समस्या हो जाती थी। पहली आरटीआई का जवाब मिला तो खुशी का ठिकाना नही रहा।

पहली आरटीआई ने ही कामयाबी का रास्ता खोल दिया। फिर कुछ साल बाद ओवर ब्रिज बनकर तैयार हो गया और लोगों को जाम के झाम से निजात मिल गई। कुलदीप बताते हैं कि एक- एक करके करीब एक दशक में लगभग छह हजार जन सूचनाएं मांग चुके हैं। इनमें ज्यादातर विकास कार्यों व जन समस्याओं से सबंधित हैं। कुलदीप बताते हैं कि आरटीआई के माध्यम से जरूरतमंदों के कार्यों को पूरा कराते हुए विकास कार्यो को गति दिलाते हैं। आरटीआई मैन कुलदीप शुक्ला की इस मुहिम की लोग सराहना कर रहे हैं। कई संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया जा चुका है। कुलदीप बताते हैं कि उनका आगे भी यह मिशन जारी रहेगा।

बांदा सहित बुंदेलखंड के विकास व जरूरतमंदों को न्याय दिलाने के लिए उनका यह मिशन जारी रहेगा। जो लोग आरटीआई के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं उन्हें इसकी जानकारी देकर   ट्रेनिंग देने का भी काम करते हैं।

कुलदीप को मिल चुका है पुरस्कार

बांदा के कुलदीप शुक्ला जरूरतमंदों की मदद में पीछे नही रहते। अपने खर्चे से आरटीआई डालकर बांदा सहित बुंदेलखंड में दर्जनों विकास कार्यों की मांग उठा चुके हैं। कुलदीप बताते हैं कि बांदा का राजकीय मेडिकल कॉलेज, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रेलवे ओवरब्रिज व बांदा शहर के बाईपास जैसे कार्यों को मंजूरी मिलने के बाद उनको शुरू व पूरा कराने को आरटीआई का सहारा लिया। आप द्वारा आरटीआई के जरिये सामाजिक न्याय एवं विकास से संबंधित मुद्दे उठाए जाते हैं। कुलदीप को जल शक्ति मंत्रालय से जलवीर सम्मान मिल चुका है। साथ ही 'माई गाव' का एम्बेसडर भी बनाया जा चुका है। कुलदीप शुक्ल बुंदेलखंड राज्य बनाने के पक्षधर हैं।

कुलदीप का तर्क है कि बुंदेलखंड राज्य बनने से बुंदेली लोकगीत, संस्कृति, संस्कार व सभ्यता को और आगे ले जाया जा सकेगा।