झारखंड के डीजीपी को सेवानिवृत्ति के बाद भी पद पर बनाए रखने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा न्यायालय

नई दिल्ली, 09 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह झारखंड सरकार और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ लंबित अवमानना याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्ति के बाद भी पद पर काबिज

नई दिल्ली, 09 फरवरी  उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह झारखंड सरकार और पुलिस
महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ लंबित अवमानना याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध
करने पर विचार करेगा।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्ति के बाद भी पद
पर काबिज हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ
को बताया गया कि इस अवमानना याचिका को पिछले साल सितंबर में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था


लेकिन यह अब तक सुनवाई के लिए नहीं आई है और इस बीच, सिन्हा अपनी सेवानिवृत्ति के बाद झारखंड के
डीजीपी के रूप में पद पर काबिज हैं।
पीठ कहा कि अदालतें कोविड के कारण “प्रतिबंधित मामलों” की सुनवाई कर रही हैं और जल्द सुनवाई के लिए
याचिका पर विचार करेगी।
अधिवक्ता अपूर्व खटोर ने कहा, ‘‘यह मामला पिछले साल तीन सितंबर को सूचीबद्ध किया गया था और इसे दो
सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था। यह कभी सूचीबद्ध नहीं हुआ। यह झारखंड के पुलिस
महानिदेशक (डीजीपी) के शीर्ष पद से संबंधित है।’’


पीठ ने कहा, ‘‘यह प्राथमिकता वाली चीज नहीं है। हम जानते हैं कि हम प्रतिबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।
हम देखेंगे।’’
जब वकील ने सुनवाई की तारीख देने का आग्रह किया, तो पीठ ने कहा, ‘‘आइए देखते हैं।

’’
इससे पहले, राज्य सरकार और डीजीपी के खिलाफ एक लंबित अवमानना याचिका की तत्काल सुनवाई के अनुरोध
वाली याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद
भी शीर्ष पुलिस का पद संभाल रहे हैं।


शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 2021 को राज्य सरकार, उसके शीर्ष अधिकारियों और यूपीएससी के खिलाफ उसके
फैसले के कथित उल्लंघन के लिए अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किये थे।


बाद में इसमें सिन्हा को अवमानना याचिका का पक्षकार भी बना दिया।
अवमानना याचिकाकर्ता राजेश कुमार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के लगातार उल्लंघन का आरोप लगाते हुए
मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे पिछले साल तीन सितंबर से सूचीबद्ध नहीं किया
गया है।