बहुत कुछ देखने लायक है दिल्ली में भी

राजधानी दिल्ली मुगल काल में मुगलों की शान थी। दिल्ली जीतने का मतलब इतिहास में नाम दर्ज होना होता था। बड़े बड़े बादशाहों ने दिल्ली पर राज किया है।

बहुत कुछ देखने लायक है दिल्ली में भी

भारत की राजधानी दिल्ली मुगल काल में मुगलों की शान थी। दिल्ली जीतने का मतलब इतिहास में
नाम दर्ज होना होता था।

बड़े बड़े बादशाहों ने दिल्ली पर राज किया है। दीवारों और मीनारों से बुना है
दिल्ली का इतिहास। भारत की राजधानी दिल्ली मुगल काल में मुगलों की शान थी। दिल्ली जीतने का
मतलब इतिहास में नाम दर्ज होना होता था। बड़े बड़े बादशाहों ने दिल्ली पर राज किया है। दीवारों और
मीनारों से बुना है दिल्ली का इतिहास। शायद इस विरासत और इतिहास के कारण ही दिल्ली देश की
राजधानी बनी। लेकिन आज लोगों के बीच दिल्ली शहर का नाम बदल गया है। आज राजधानी दिल्ली
को लोग भीड़, ट्रैफिक जाम, अपराध की राजधानी के नाम से जानने लगे हैं।

लेकिन दिल्ली का दूसरा
रूप आज भी अपने इतिहास की तरह खूबसूरत है यहां आज भी मीनीरें हैं और दीवारों से घिरे किले।
अगर आप भी ऐतिहासिक चीजों को देखने का शौक रखते हैं तो आप दिल्ली की यात्रा करें यहां देखने को
बहुत कुछ है-आइये जानते हैं दिल्ली की कुछ ऐतिहासिक इमारतों के बारें में-


पुराना किला
पुराना किला दिल्ली के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। इसके वर्तमान आकार का निर्माण सुर साम्राज्य
के संस्थापक शेर शाह सूरी ने किया था। शेर शाह सूरी ने इसके आस-पास के शहरी इलाके के साथ ही
इस गढ़ को बनाया था। 540 में सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित किया
और किले का नाम शेरगढ़ रखा गया और उसमें किले के परिसर में और भी बहुत सी चीजों का निर्माण
करवाया। पुराना किला और इसके आस-पास के परिसर में विकसित हुई जगहों को “दिल्ली का छठा
शहर” भी कहा जाता है।


फिरोज शाह कोटला किला

दिल्ली में फिरोजशाह कोटला एक किला है। इसका निर्माण मुगल शासक फिरोजशाह तुगलक द्वारा
1354 में करवाया गया था। यह किला दिल्ली के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। इतिहास से पता
चलता है कि फिरोजशाह कोटला किले का निर्माण तब हुआ जब मुगलों ने उस क्षेत्र में पानी की कमी के
कारण, अपनी राजधानी तुगलाकाबाद से फिरोजाबाद स्थानांतरित करने का फैसला किया था। पानी की
कमी को हल करने के लिए किले का निर्माण यमुना नदी के पास किया गया था। किले के अंदर सुंदर
उद्यानों, महलों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया था, यह राजधानी का शाही गढ़ था। यह
किला तुगलक वंश के तीसरे शासक के शासनकाल के प्रतीक के रूप में अपनी सेवा प्रदान करता है।


लाल किला
वैसे तो दिल्ली में घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं, लेकिन लाल किला की बात ही कुछ और है। हर
साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देश को
संबोधित करते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाल किले का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। लाल
रंग के बलूआ पत्थर से बने होने के कारण इसका नाम लाल किला पड़ा। इसके अंदर मौजूद दीवान-ए-
आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, खास महल, हमाम, नौबतखाना, हीरा महल और शाही बुर्ज यादगार
इमारतें हैं।


कुतुब मीनार
दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार 120 मीटर ऊँची दुनिया की सबसे बड़ी ईंटो की मीनार है और मोहाली की
फ़तेह बुर्ज के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार है। प्राचीन काल से ही क़ुतुब मीनार का इतिहास
चलता आ रहा है। कुतुब मीनार का आस-पास का परिसर कुतुब कॉम्पलेक्स से घिरा हुआ है, जो एक
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है। कुतुब मीनार दिल्ली के मेहरौली भाग में स्थापित है। यह मीनार लाल
पत्थर और मार्बल से बनी हुई है।


जंतर-मंतर
जंतर-मंतर राजधानी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के बीचों-बीच स्थित है। जंतर मंतर का निर्माण
महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। जंतर-मंतर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की
मिसाल है। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिंदू और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को
लेकर बहस छिड़ गई थी।

जयसिंह ने इसे खत्म करने के लिए जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था।
उन्होंने दिल्ली के साथ जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी इसका निर्माण कराया था।