मोतियों की माला जैसी तकनीक से चलेगा डिजिटल रुपयामोतियों की माला जैसी तकनीक से चलेगा डिजिटल रुपया
नए बजट में क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल और डिजिटल संपत्तियों की बिक्री या ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है।
टॉकिंग पॉइंट्स
मोतियों की माला जैसी तकनीक से चलेगा डिजिटल रुपया
नरविजय यादव
नए बजट में क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल और डिजिटल संपत्तियों की बिक्री या ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है। भारत में अभी लगभग 1.5 करोड़ निवेशकों के साथ करीब 45,000 करोड़ रुपये कीमत की क्रिप्टो संपत्ति होने का अनुमान है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी जामा पहनाने की कवायद फिलहाल रुकी हुई है। क्रिप्टोकरेंसी बिल संसद में पेश करने से पहले सरकार शायद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनी डिजिटल करेंसी लांच होने का इंतजार कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में यह घोषणा भी कर दी कि 2020-23 के वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक अपना डिजिटल रुपया लांच कर देगा। डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन टैक्नोलॉजी पर आधारित होगा। ब्लॉकचेन एक लेन-देन का डेटाबेस होता है जिसे कंप्यूटर नेटवर्क पर साझा किया जाता है। ब्लॉकचेन डिजिटल फॉर्मेट में इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी एकत्रित करता है। यह रिकॉर्ड को पूरी तरह से सुरक्षित रखता है।
एक डेटाबेस और एक ब्लॉकचेन के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि डेटा को कैसे तैयार किया जाता है। एक ब्लॉकचैन समूहों में एक साथ जानकारी एकत्र करता है, जिन्हें ब्लॉक कहते हैं। इन्हीं में सूचनाओं का सेट होता है। हर ब्लॉक में एक निश्चित मात्रा में ही डेटा स्टोर किया जा सकता है। जब एक ब्लॉक भर जाता है, तो बंद हो जाता है और पहले भरे हुए ब्लॉक से जुड़ जाता है, जिससे ब्लॉकचेन नामक डेटा की एक श्रृंखला बनती जाती है। इसे आप एक माला की तरह समझ सकते हैं, जिसमें एक के बाद एक मोती जोड़े हुए होते हैं। किसी भी डेटाबेस में जानकारी को टेबल या तालिकाओं में दर्शाया जाता है, जबकि एक ब्लॉकचेन अपने डेटा को एक साथ गुंथे हुए ब्लॉक्स में भरती जाती है। जब एक ब्लॉक जानकारी या डेटा से पूरा भर जाता है, तो वह किसी पत्थर की तरह सेट हो जाता है और ब्लॉकचेन का हिस्सा बन जाता है। चेन में हर नए ब्लॉक के जुड़ने का समय दर्ज होता रहता है। ब्लॉकचेन में दर्ज डेटा या जानकारी को देखा जा सकता है, परंतु उसे एडिट या संपादित नहीं किया जा सकता।
ब्लॉकचेन विश्लेषण करने वाली कंपनी सिफेरट्रेस के अनुसार, वर्ष 2020 में क्रिप्टो करेंसी की चोरी और धोखाधड़ी से 14,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ। ऐसे लेनदेन में यदि कोई नुकसान होता है, तो पुलिस या अदालत भी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि इसके लिए फिलहाल कोई कायदे-कानून नहीं बने हैं। नुकसान की जिम्मेदारी पूरी तरह से निवेशक की खुद की होती है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने वाले एक्सचेंज के सर्वर भारत से बाहर स्थित हैं और किसी को नहीं पता कि उन पर किस देश का कानून लागू होगा। सेबी भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती। क्रिप्टोकरेंसी में बिटकॉइन के रूप में निवेश किया जाता है। ये बेहद उतार-चढ़ाव वाला खेल है। जून 2021 की बात है, जब 24 घंटे के भीतर टाइटन नामक क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य करीब साढ़े चार हजार रुपये से घट कर 15 पैसे पर पहुंच गया था। विज्ञापनों के जाल में फंसने की कतई गलती न करें। क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन पर निगाह रखने के लिए भारत में फिलहाल कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। न ही इस तरह के लेनदेन पर किसी तरह के सरकारी नियमों का बंधन है।
--
नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।
ईमेल: narvijayindia@gmail.com