स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज के श्रीमुख से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए भक्त-श्रद्धालु
सरस्वती महाराज ने देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं को वामन अवतार, बलि प्रसंग, गंगा अवतरण, श्रीराम जन्म एवं श्रीकृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराई।

स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज के श्रीमुख से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए भक्त-श्रद्धालु
वृन्दावन।मथुरा रोड़ स्थित द्वारिका कुंज (मिर्जापुर वाली धर्मशाला) में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं को वामन अवतार, बलि प्रसंग, गंगा अवतरण, श्रीराम जन्म एवं श्रीकृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराई।
व्यासपीठ से प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अखिल कोटि ब्रह्मांड नायक भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लेकर न केवल पापियों, अत्याचारियों व दैत्यों का संघार किया बल्कि उन तमाम भक्तों, ऋषियों-मुनियों एवं साधु-संतों की वाणियों को साकार किया, जिन्होंने पूर्व जन्मों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में संलग्न होने का वरदान प्राप्त किया था।पूज्य महाराजश्री ने भगवान के दिव्य स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में ब्रज में अवतार लेकर पूरब से लेकर पश्चिम तक धर्म की स्थापना के लिए समस्त राक्षसों का उद्धार कर सभी जीवों को सुख प्रदान किया।
व्यास पीठाधीन स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जब-जब अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होने लगती है,तब-तब अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की रक्षा व पुनःस्थापना के लिए भगवान नारायण पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।इसीलिए वे तारणहार कहे जाते हैं।इस अवसर पर भव्य नंदोत्सव आयोजित किया गया।साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की दिव्य झांकी सजाई गई।इसके अलावा जन्म से संबंधित बधाईयों व भजनों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।जिसके अंतर्गत रुपए-पैसे, खेल-खिलौने, वस्त्र-आभूषण आदि लुटाए गए।
इस अवसर पर श्रीउमा शक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित आर. एन. द्विवेदी (राजू भैया), पुनीत भाटिया (दुबई), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, श्रीमती नीलम सोमानी, संजय सोमानी (गोरे गांव, मुम्बई) आदि की उपस्थिति विशेष रही।