*हमें तुम्हारी कद्र है अनुज
घटनास्थल पर जमा भीड़ फोटो खींचने और वीडियो बनाने में तो जुटी थी परंतु उनकी चिकित्सा का किसी को ख्याल नहीं आया या किसी ने ज़रूरत नहीं समझी।
_-राजेश बैरागी-_
मुझे मालूम नहीं है कि एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है या नहीं। परंतु एमबीए की परीक्षा देने जा रहे छात्र अनुज चौधरी ने सड़क पर घायल पड़े एक परिवार को बचाने के लिए अपनी डिग्री दांव पर लगा दी।
मुझे लगता है कि किसी भी भाषा, किसी भी विषय और किसी भी उद्देश्य को लेकर शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को मानवता के प्रति सर्वप्रथम संवेदनशील होना चाहिए।
अनुज ने यही किया।वह सिकंद्राबाद (बुलंदशहर) के प्राणगढ़ गांव का रहने वाला है। बीते कल बुधवार को उसकी एमबीए की परीक्षा थी।वह अपने गांव से परीक्षा देने के लिए निकला तो खुर्जा रोड पर उसे भीड़ जमा दिखाई दी।
परीक्षा शुरू होने में थोड़ा ही समय था और उसे दादरी पहुंचना था। अपने कैरियर,साल खराब होने और झंझट में पड़ने के भय से वह भी अपने रास्ते जा सकता था परंतु एक संवेदनशील मनुष्य को यह कैसे मंजूर हो सकता था।
उसने तमाशबीन भीड़ को हटाया और सड़क पर तड़प रहे नूरमोहम्मद, उसकी पत्नी फरजाना वह दो बच्चों को एक ई रिक्शा में लादकर सरकारी चिकित्सालय ले गया। इस परिवार को मोटरबाइक पर दिल्ली जाते हुए किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी।
घटनास्थल पर जमा भीड़ फोटो खींचने और वीडियो बनाने में तो जुटी थी परंतु उनकी चिकित्सा का किसी को ख्याल नहीं आया या किसी ने ज़रूरत नहीं समझी।
अनुज के प्रयास के बावजूद फरजाना की जान चली गई।उसे भीड़ की बेरुखी ने मार डाला।अनुज की डिग्री वाली परीक्षा छूट गई परंतु वह मानवता की परीक्षा में सफल सिद्ध हुआ।उसे बुलंदशहर के जिलाधिकारी ने सम्मानित करने की घोषणा की है।(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)