परम् भागवत एवं सेवाभावी महिला थीं श्रीमती सुशीला देवी गोस्वामी
वृन्दावन।गोपाल खार स्थित श्रीहरिदास धाम में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।जिसमें श्रीहरिदासपीठाधीश्वर निकुंजवासी आचार्य ललित वल्लभ गोस्वामी की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीलादेवी गोस्वामी के निकुंज गमन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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परम् भागवत एवं सेवाभावी महिला थीं श्रीमती सुशीला देवी गोस्वामी
वृन्दावन।गोपाल खार स्थित श्रीहरिदास धाम में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।जिसमें श्रीहरिदासपीठाधीश्वर निकुंजवासी आचार्य ललित वल्लभ गोस्वामी की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीलादेवी गोस्वामी के निकुंज गमन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।साथ ही उनका भावभीना स्मरण किया गया।पं. चंद्रलाल शर्मा एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने अपनी भावांजलि प्रकट करते हुए कहा कि श्रीमती सुशीला देवी गोस्वामी अध्यात्म जगत की विभूति थी। उन्होंने ग्रहस्थ जीवन में हरिदासीय सम्प्रदाय के अनुसार आचरण करते हुए जीवन यापन किया ।
उन्होंने ब्रज सेवा को अपने जीवन का प्रमुख अंग बनाया। वे बांके बिहारी महाराज का चरणामृत लेकर ही अन्न जल ग्रहण करती थी।मथुरा-वृंदावन नगर निगम के उप-सभापति मुकेश सारस्वत एवं भगवताचार्य बिहारीलाल शास्त्री ने कहा कि अभ्यागत सेवा और संत सेवा को ही प्राथमिकता देने वाली श्रीमती सुशीला देवी गोस्वामी परम् भागवत एवं सेवाभावी महिला थी। उनके द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों को उनके सुपुत्र आज भी संचालित किये हुए है, जिसका लाभ असंख्य ब्रजवासी व तीर्थ यात्री निरन्तर प्राप्त कर रहे हैं।
संत प्रवर बाल योगेश्वरानंद एवं योगेश द्विवेदी ने कहा वे एक विदुषी महिला थीं।अध्यात्म एवं समाज सेवा के क्षेत्र में उनका सहयोग सदैव स्मरणीय रहेगा।
ठाकुर श्रीबांके बिहारी महाराज के मंदिर की कच्ची रसोई अपने हाथों से बनाती थी। आज भी ब्रजवासी महिलायें उनकी आदर्श रही है। वे परम भागवत ग्रहस्थ संत महिला थी।पण्डित श्याम सुंदर गौतम एवं पण्डित सुधीर शुक्ला ने कहा कि सरल स्वभाव, मृदुभाषी एवं सभी को मातृवत स्नेह देने वाली श्रीमती सुशीलादेवी गोस्वामी महिला समाज के लिए प्रेरणा श्रोत थी। उनके मार्गदर्शन का अभाव सदैव खलता रहेगा। उनके पति निकुंजवासी हरिदास पीठाधीश आचार्य ललित बल्लभ गोस्वामी साहित्य सेवी, रामलीला निर्देशन एवं इनके द्वारा साहित्य एवं धार्मिक जगत के कार्य किए गए हैं।
कृष्ण चंद्र गौतम एवं आचार्य नवीन गोस्वामी ने कहा सुशीला देवी गोस्वामी के पुत्र प्रेम बल्लभ गोस्वामी, आनंद बल्लभ गोस्वामी, प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी तथा डॉ. ब्रजरानी गोस्वामी सुशिक्षित उच्च शिक्षा प्राप्त साहित्य सेवी समाजसेवी है। सुशीला देवी की उनके पुत्र एवं पुत्री इस परंपरा को अनवरत बढ़ाए हुए हैं।
इस अवसर पर रामनारायण ब्रजवासी, बंसी तिवारी, मुनीष शर्मा, सत्यवान शर्मा, डॉ. बी.पी. शुक्ला, रामेश्वर शर्मा, संगीताचार्य बनवारी लाल महाराज, आचार्य रसिक, डॉ. राधाकांत शर्मा, ईश्वरचंद्र रावत, विनीत द्विवेदी, राजेंद्र द्विवेदी, छाया गौतम, रामप्रकाश गौतम, ब्रजेंद्र भाई कौशिक, आलोक बंसल, गोविंद ब्रजवासी, विवेक महाजन, संतोष कुमार सारस्वत, लाल व्यास, करुणा शंकर त्रिवेदी, मुकेश मोहन शास्त्री, देवांशु गोस्वामी, उमेश सारस्वत, गोविंद सिंह गहलोत,
हरिहर दासजी, प्रदीप बनर्जी, भुलेश्वर उपमन्यु, आनंद प्रकाश द्विवेदी, गोपाल शर्मा, चंद्रमोहन जयसवाल, रूप किशोर बघेल, प्रियाबल्लभ वशिष्ठ, अनुभूति गोस्वामी, कन्हैया पांडे, पूरन चंद्र दीक्षित आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।संचालन विमल चैतन्य ब्रह्मचारी ने किया।