अमेरिका में गर्भपात पर हंगामा
अमेरिका में इधर दो बड़े फैसलों ने हड़कंप मचा रखा है। एक तो बंदूक रखने पर कुछ नई पाबंदियों के कारण और दूसरा गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण।
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
अमेरिका में इधर दो बड़े फैसलों ने हड़कंप मचा रखा है। एक तो बंदूक रखने पर कुछ नई पाबंदियों के कारण और
दूसरा गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के इन दोनों फैसलों को लेकर वहां कई प्रांतों
में प्रदर्शन हो रहे हैं और उनका डटकर विरोध या समर्थन हो रहा है। बंदूक पर प्रतिबंधों का उतना विरोध नहीं हो
रहा है, जितना गर्भपात पर प्रतिबंध का हो रहा है। 1973 में गर्भपात की अनुमति का जो फैसला अमेरिका सर्वोच्च
न्यायालय ने दिया था, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने उलट दिया है। 6 और 3 जजों की इस फैसले के पीछे पूर्व
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नियुक्त रूढ़िवादी जजों का बहुमत में होना है। अब अमेरिका में जो भी राज्य रूढ़िवादी
या रिपब्लिकन या ट्रंप-समर्थक हैं, वे इस कानून को तुरंत लागू कर देंगे। इसका नतीजा यह होगा कि महिलाओं को
अपने शरीर के बारे में ही कोई मौलिक अधिकार नहीं होगा। लगभग एक दर्जन राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध की
घोषणा कर दी है। कोई भी महिला 15 हफ्तों से ज्यादा के गर्भ को नहीं गिरवा सकती है। अदालत के इस फैसले
को राष्ट्रपति जो बाइडन ने तो भयंकर बताया ही है, सारे अमेरिका में इसके विरुद्ध विक्षोभ फैल गया है। यूरोपीय
राष्ट्रों के प्रमुख नेताओं ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है। अमेरिका की नामी-गिरामी कंपनियों ने उनके यहां
कार्यरत महिलाओं से कहा है कि वे गर्भपात के लिए जब भी किसी अन्य अमेरिकी राज्य में जाना चाहें, उन्हें उसकी
पूर्ण सुविधाएं दी जाएंगी। अमेरिका के 13 राज्यों में गर्भपात की अनुमति आज भी है। अमेरिका में संघीय व्यवस्था
है। इसीलिए उसके राज्य केंद्रीय कानून को मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन अमेरिका के केथोलिक
संप्रदाय के पादरी इस गर्भपात पर प्रतिबंध का स्वागत कर रहे हैं। वैसे भी आजकल यूरोप और अमेरिका में स्त्री-
पुरुषों के बीच अवैध शारीरिक संबंधों का चलन इतना बढ़ गया है कि गर्भपात की सुविधा के बिना उनका जीना
दूभर हो सकता है। इसके अलावा गर्भपात की सुविधा की मांग इसलिए भी बढ़ गई है कि चोरी-छिपे गर्भपात
करवाने पर गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के अनुसार हर साल 2.5
करोड़ असुरक्षित गर्भपात होते हैं, जिनमें 37000 महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। अब गर्भपात पर
प्रतिबंध लगने से इस संख्या में वृद्धि ही होगी। यूरोप के कई देश गर्भपात के अधिकार को कानूनी रूप देने के
लिए तत्पर हो रहे हैं। भारत में 24 हफ्ते या उसके भी बाद के गर्भ को गिराने की कानूनी अनुमति है बशर्ते कि
गर्भवती के स्वास्थ्य के लिए वह जरुरी हो। भारतीय कानून अधिक व्यावहारिक है।