प्रत्याशी कम वोटिंग से परेशान सट्टेबाजों की नजर में BJP का रेट सबसे कम

गाजियाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मात्र 33.30 मतदान होने के कारण प्रत्याशी और उनके समर्थकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

प्रत्याशी कम वोटिंग से परेशान सट्टेबाजों की नजर में BJP का रेट सबसे कम

प्रत्याशी कम वोटिंग से परेशान सट्टेबाजों की नजर में बीजेपी का रेट सबसे कम

गाजियाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मात्र 33.30 मतदान होने के कारण प्रत्याशी और उनके समर्थकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। सट्टेबाज भी हार जीत को लेकर सक्रिय हो गए हैं। हालांकि अब तक विभिन्न सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है। मगर सट्टेबाजों की नजर में बीजेपी चुनाव जीतती नजर आ रही है, यही कारण है कि उसकी जीत पर सबसे कम रेट लगा है।

विधानसभा चुनाव में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें बीजेपी की ओर से संजीव शर्मा, सपा कांग्रेस गठबंधन से सिंहराज जाटव, बसपा से परमानंद गर्ग और आज समाज पार्टी से सतपाल चौधरी प्रमुख रूप से चुनाव लड़ रहे थे।

बुधवार को मतदान में जिस प्रकार से मतदाताओं का रुझान काफी कम दिखा उसने चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने वाले पुलिस और प्रशासनिक सिस्टम के लोग भी काफी परेशान हैं। उनका कहना है कि वोटिंग के इतने प्रयासों के बावजूद मतदाता घर से नहीं निकले।न केवल मलिन बस्ती बल्कि मध्यवर्गीय क्षेत्र, पॉश कॉलोनी और मल्टी स्टोरी में रहने वालों में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा। सुबह के पहले दो घंटे में सिर्फ पांच फीसदी ही मतदान हुआ। हालांकि शाम होते होते 33.30 फीसदी तक मतदान हो गया।

सट्टेबाजों की नजर में इस चुनाव परिणाम पर सट्टा लगाना उनके लिए भी परेशानी पैदा कर रहा है। कम वोटिंग होने के कारण उन्हें हार-जीत पर दाव लगाने में मुश्किल हो रही है। बावजूद इसके ट्रैंड बताते हैं कि बीजेपी पर सबसे कम दांव लगा है।सट्टेबाजों की नजर में ₹100 में बीजेपी पर मात्र ₹20 लग रहे हैं, जबकि सपा कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी पर यह रेट दोगुना करीब ₹40 जबकि ₹60 में बसपा और आज समाज पार्टी पर समेत 14 प्रत्याशियों पर बोली लग रही है।

राजनीति की जानकारों को कहना है कि यह चुनाव बीजेपी ने दो हिस्सों में शहरी क्षेत्र और लाइनपार में प्लान बनाकर पूरी ताकत से साथ लड़ा। परंतु सपा-कांग्रेस गठबंधन हो या अन्य राजनीतिक दल के प्रत्याशियों का पूरी ताकत केवल लाइनपार में ही नजर आई। यही कारण है शहरी क्षेत्र में बीजेपी के मतदाताओं की अपेक्षा अनुसार विपक्षी दलों के प्रति रुझान कम देखा गया।वहीं, लाइन पार क्षेत्र में इसका मिला-जुला असर दिखा। सट्टेबाजों का कहना है कि मतदान से पूर्व उन्हें इस बात की आशंका थी कि इस बार मुस्लिम और दलित पक्ष की ओर से अच्छी वोटिंग होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सट्टेबाजों का कहना है कि वोटिंग से पहले एआइएमआइएम पर भी कुछ दांव खेला जा रहा था, परंतु वोटिंग के बाद सट्टा खेलने वाले उनसे दूर हो गए।

उपचुनाव में खड़े अधिकांश प्रत्याशी प्रचार के लिए पिछले करीब डेढ़ महीने से पूरी ताकत लगाए हुए थे। बुधवार को मतदान के बाद देर रात को प्रत्याशी अपने-अपने घरों में आराम करने चले गए। भाजपा प्रत्याशी तो सवेरे देर तक सोए। जो भी उनके घर मिलने गया तो उसे बताया गया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। ऐसे में थोड़ी देर से उठेंगे।

वहीं, सपा-कांग्रेस गठबंधन के सिंह राज जाटव जरूर सुबह से ही कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंच गए थे।