इंसाफ न मिलने पर पुलिस से आहत होकर वरिष्ठ पत्रकार ने पुलिस कमिश्नर दफ्तर पर 30 मई को आत्मदाह करने का निर्णय लिया

नोएडा थाना 39 क्षेत्र के ग्राम सलारपुर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार ईशा हाफ सैफी ने प्रार्थना पत्र के द्वारा इंसाफ की गुहार लगाते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी थी न्याय नहीं मिला तो करूंगा आत्मदाह,

इंसाफ न मिलने पर पुलिस से आहत होकर वरिष्ठ पत्रकार ने पुलिस कमिश्नर दफ्तर पर 30 मई को आत्मदाह करने का निर्णय लिया

नोएडा थाना 39 क्षेत्र के ग्राम सलारपुर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार ईशा हाफ सैफी ने प्रार्थना पत्र के द्वारा इंसाफ की गुहार लगाते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी थी

न्याय नहीं मिला तो करूंगा आत्मदाह, मैं इसाक सैफी संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार दो उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हूं दिनांक 15 नवंबर 2019 को मेरे बड़े भाई या चीन के साथ करीब 15 से 20 लोग जिनमें महिला एवं पुरुष शामिल थे समय करीब

12:00 बजे दोपहर को यामीन पर जानलेवा हमला किया गया था उस समय मैं अपने ऑफिस सेक्टर 10 में मौजूद था जब मेरी पत्नी नसीम जहां अपने मायके गई थी

तथा मेरी पुत्री शबनम एवं बेटा सोनू जिसकी उम्र करीब 12 वर्ष की मेरी पत्नी के साथ सहीदनगर गए हुए थे तो 12:00 बजे के करीब मेरे भाई यासीन ने मुझे झगड़े की जानकारी दी

तो यह सूचना मैंने पुलिस को 100 नंबर पर इसकी जानकारी दी तो पुलिस उन्हें यानी मेरे भाई जमीन को थाना सेक्टर 39 छोड़ कर आ गई तो इस झगड़े की सूचना मेरी पत्नी को हो गई तो है सुनकर मेरी बेटी शबनम जो हमारे अखबार में सब एडिटर है तो सुन

कर थाना सेक्टर 39 पहुंच गई तो है मेरा भाई यामीन दर्द से तड़प रहा था तो यह देखकर मेरी बेटी शबनम ने वहां मौजूद थाना अध्यक्ष नीरज मलिक मौजूद थे जिन से दवाई दिलाने का आग्रह किया जब वहां मौजूद स्टाफ और थानाध्यक्ष ने नहीं सुनी तो मेरी

बेटी शबनम ने वहां वीडियो बनानी चाहिए तो वहां मौजूद समस्त स्टाफ ने मेरी बेटी की गर्दन दबा दी और फोन छीन लिया और मेरी बेटी को लॉकर में बिठा दिया जब इस बात की जानकारी मुझे मिली तो मैं अपने दो तीन साथियों को लेकर थाने पहुंचा और

बेटी को लॉकर में बैठाने की जानकारी ली तो बताया गया कि यह लड़की वीडियो बना रही थी तो हमने पूछा कि जब आप लोग गलत नहीं कर रहे हो तो वीडियो से आप पर क्या फर्क पड़ रहा था तो उस समय थानाध्यक्ष ने गलती मानते हुए मेरी बेटी को छोड़

दिया और अपने भाई यामीन को कैलाश हॉस्पिटल मैं एडमिट करा दिया और मेरी और अन्य परिजन घर आ गए और मैं एक शादी समारोह में सेक्टर 22 चला गया फिर पुलिस ने उसी दिन रात में मेरे बा मेरे परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और हम लोगों

को सुबह करीब 3:30 4:00 बजे मेरी पत्नी नसीम जहां मेरी तीनों बेटी शबनम जैसी शबाना सैफी रुबीना से फीवर मेरा बेटा सोनू उर्फ अयान जैसी वह मुझे घर में सोते हुए लोगों को एक अपराधी की तरह उठाकर थाने में बैठाकर प्रताड़ित किया गया और 4:00

बजे शाम को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया रिपोर्ट दर्ज करने वाले स्थानीय पुलिस के मुखबिर थे जिनके खिलाफ अवैध धंधा करने की हिंद की जमीन अखबार में खबर प्रकाशित की गई थी

जो अवैध कारोबार कर रहे थे उसमें स्थानी पुलिस भी तकलीफ थी

जिसमें बौखला कर मेरे खिलाफ फर्जी मुकदमे लेकर गए एक मुकदमा अपराध संख्या 10 10 2019 में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया जो बाद में मेरा बाप मेरे भाई यामीन बस रोज के नाम पंजीकृत किया गया दूसरा मुकदमा संख्या

1187 2019 जिसमें मैं और मेरी पूरी परिवार 28 दिन जेल काट कर आए इस मामले की जब मैंने संबंधित अधिकारियों से शिकायत की तो अवैध शराब के कारोबार से तत्कालीन चौकी इंचार्ज सतवीर सिंह सन लिप्त पाए गए और उन्हें संबंधित

अधिकारियों ने निलंबित भी किया गया तथा इसके बाद इसमें दिनेश मलिक द्वारा जांच की गई लेकिन जो तत्कालीन चौकी इंचार्ज के कहने पर अमल किया गया तथा इसके बाद इस मामले में चारों ने जांच की जो 22 महीने चली लेकिन मुझे कोई इंसाफ नहीं

मिला अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि इन मुकदमों की जांच कराई जाए जबकि यह दोनों मुकदमे फर्जी दर्ज किए गए हैं और दोनों

मुकदमे एक ही परिवार के अलग-अलग लोगों ने दर्ज कराई है अतः महोदय से मेरा विनम्र निवेदन है कि मुकदमे की जांच की थी

डीसीपी स्तर से जांच करा कर मुझे 10 दिन में इंसाफ दिलाया जाए यदि मुझे इन मुकदमों में 10 दिन में न्याय नहीं मिला तो मैं कमिश्नर ऑफिस के सामने 30 मई को आत्मदाह करूंगा जिसकी जिम्मेदारी पुलिस विभाग की होगी