खुश रहने के लिए हुआ है मनुष्य का जन्म

कुछ लोग विचित्र हरकतें करते हैं, तो कुछ अत्यधिक प्रतिभाशाली होते हैं और कुछ अनूठा कर डालते हैं। कुछ देश भी ऐसे होते हैं जो विचित्र नियम कानूनों की वजह से चर्चा में आ जाते हैं। उत्तर कोरिया एक ऐसा ही देश है, जो एक विचित्र कारण से सुर्खियों में है। वजह है वहां के सनकी तानाशाह शासक का अजीबो गरीब फरमान।

टॉकिंग पॉइंट्स 

नरविजय यादव

मैं जब भी लद्दाख जाता हूं तो वहां एक बात बहुत कॉमन पाता हूं, और वो है वहां के बाशिंदों की दिल जीत लेने वाली मुस्कान। उनका सरल जीवन, हिमालय की ऊंचाइयों पर वास और चेहरे पर विराजमान अनंत मुस्कुराहट, लद्दाखियों को विशिष्ट बनाती है। तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा का कहना है कि मनुष्य का जन्म ही प्रसन्न रहने के लिए हुआ है। जीवन का प्रथम और अंतिम उद्देश्य है खुश रहना। प्रसन्नता के मामले में सबसे धनी हैं भूटान के लोग। वहां की सरकार प्रति व्यक्ति आय सूचकांक की बजाय प्रति व्यक्ति खुशी सूचकांक को महत्व देती है। लेकिन यह दुनिया है, यहां अजीबो-गरीब चीजें होती रहती हैं। कुछ लोग विचित्र हरकतें करते हैं, तो कुछ अत्यधिक प्रतिभाशाली होते हैं और कुछ अनूठा कर डालते हैं। कुछ देश भी ऐसे होते हैं जो विचित्र नियम कानूनों की वजह से चर्चा में आ जाते हैं। उत्तर कोरिया एक ऐसा ही देश है, जो एक विचित्र कारण से सुर्खियों में है। वजह है वहां के सनकी तानाशाह शासक का अजीबो गरीब फरमान।

 

उत्तर कोरिया में 17 दिसंबर से 27 दिसंबर तक किसी भी नागरिक को हंसना, रोना, नाचना, गाना, पीना, जन्मदिन और खुशियां मनाना सख्त मना है। वजह यह कि वहां 11 दिनों का राष्ट्रीय शोक मनाया जा रहा है। दरअसल यह देश अपने पूर्व लीडर किम जोंग-इल की मृत्यु की 10वीं बरसी मना रहा है। उन्होंने 1994 से 2011 तक उत्तर कोरिया पर शासन किया। दिल का दौरा पड़ने से 17 दिसंबर, 2011 को 69 साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी। इसके बाद उनके सबसे छोटे पुत्र किम जोंग-उन ने सत्ता संभाल ली। वहां 11 दिनों के लिए हर तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यदि कोई नियम तोड़ेगा तो जेल जायेगा। तानाशाही शासन की यही दिक्कत है। उत्तर कोरिया में कब कौन सा फरमान सुना दिया जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता। हैप्पीनेस यानी प्रसन्न्ता की सूची में 149 देश शामिल हैं, जिनमें भारत का नंबर 144वां है। दुनिया में बहुत कम लोग मिलेंगे जो खुश रहना जानते हैं या खुश रहते हैं। झारखंड के जमशेदपुर में एक स्टार्टअप है दि हैप्पी ट्राइब, जो लोगों को खुश रहना सिखाता है। इसके संस्थापक संतोष शर्मा कहते हैं कि उनके इस प्रोजेक्ट से करीब एक हजार लोग व संस्थान लाभ ले चुके हैं।

 

मैच नामक डेटिंग बेवसाइट रोमांटिक रिश्तों को लेकर एक सर्वेक्षण करवाती है। ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला कि अमेरिका के कुंवारे युवाओं को अब अपने जीवनसाथी में शारीरिक खूबसूरती के बजाय भावनात्मक खूबियों की अधिक चाह है। कोविड के बाद सोच में यह बदलाव देखा गया है कि लोग अब लंबे टिकाऊ रिश्तों की उम्मीद रखने लगे हैं। सर्वे में 18 से 98 साल तक के लोगों से रिश्तों को लेकर सवाल पूछे गये। 83 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्हें खुले विचारों वाले और एडजस्ट करने की इच्छा रखने वाले जीवनसाथी की तलाश है। वे यह भी चाहते हैं कि जीवनसाथी अपनी बात कहने में समर्थ होना चाहिए, यानी संचार कौशल में निपुण हो। पिछले साल, 90 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने साथी में शारीरिक आकर्षण को तरजीह दी थी। कोविड महामारी के बाद लोगों का ध्यान अच्छी सेहत पर अधिक जा रहा है, शायद इसी वजह से भावनात्मक परिपक्वता और रिश्तों का टिकाऊपन शारीरिक सौंदर्य पर भारी पड़ने लगा है।

 

 --

 

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com