धर्म संसद मामले पर सुनवाई 19 मई तक के लिए टली

नई दिल्ली, 09 मई सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद मामले पर सुनवाई 19 मई तक के लिए टाल दी है। आज सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग विषय से जुड़े कई मामले एक साथ लग गए थे।

धर्म संसद मामले पर सुनवाई 19 मई तक के लिए टली

नई दिल्ली, 09 मई। सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद मामले पर सुनवाई 19 मई तक के लिए टाल दी है।
आज सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग विषय से जुड़े कई मामले एक साथ लग गए थे। इससे हो रहे भ्रम से बचने के


लिए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल से कहा कि वह केबल टीवी एक्ट, आईटी रूल्स और हेट स्पीच से जुड़े
मामलों की अलग-अलग लिस्ट बनाएं, ताकि सबका निपटारा हो सके।


सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश के ऊना में हुई धर्म संसद पर नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पूछा था
कि ऐसे मामलों के लिए पहले आ चुके निर्देशों के पालन के लिए लिए क्या कदम उठाए। कोर्ट ने 27 अप्रैल को


उत्तराखंड के रुड़की में होने वाले धर्म संसद के लिए राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि भड़काऊ भाषण
पर लगाम नहीं लगी तो उच्च अधिकारियों को जिम्मेदार माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को हलफनामा


देने को कहा था कि कार्यक्रम में कुछ गलत होने से रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता कुर्बान अली
के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि प्रशासन ने भड़काऊ बातों से रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए।


22 अप्रैल कोर्ट ने दिल्ली में 19 दिसंबर, 2021 को हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम पर पुलिस के जवाब पर
सफाई मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट
ने हैरानी जताते हुए पूछा कि यह सब इंस्पेक्टर रैंक के जांच अधिकारी का स्टैंड है या डीसीपी का।

सुप्रीम कोर्ट की
सख्ती के बाद दिल्ली पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली।


दरअसल, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि 21 दिसंबर, 2021 को दिल्ली में
हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के एंकर सुरेश चव्हाणके ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट स्पीट


नहीं दी थी। दक्षिण पूर्वी दिल्ली के डीसीपी इशा पांडेय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि कार्यक्रम
के वीडियो को बारीकी से देखने पर ऐसा कहीं नहीं लगा

कि कानून का उल्लंघन हुआ है और किसी धर्म के लोगों

के खिलाफ माहौल बनाया गया हो। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपने हितों के लिए कार्यक्रम करने से किसी को
रोका नहीं जा सकता है।


दरअसल, 12 जनवरी को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इस बात की अनुमति दी थी कि वे दूसरे स्थानों पर हुई ऐसी
घटनाओं के खिलाफ स्थानीय प्रशासन को अपना प्रतिवेदन दें। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पत्रकार कुर्बान अली और


पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज और वकील अंजना प्रकाश ने दायर की है। एक याचिका देशभर में मुस्लिम विरोधी
भड़काऊ भाषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मौलाना महमूद मदनी ने दायर


की है। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की वजह से कई जान गई हैं। भड़काऊ
बयान देने वालों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।