पांच सालों में 22 गैंडों का शिकार
नोएडा।पूरी दुनिया में सर्वाधिक संख्या में भारत में पाए जाने वाले एक सींग के गैंडे का शिकार पिछले कुछ वर्षों में कम ज़रूर हुआ है लेकिन अभी भी कई राज्य ऐसे हैं जहाँ यह अबतक जारी रहा है , समाजसेवी एवं शहर के निवासी श्री रंजन तोमर द्वारा कई वर्षों से लगाई गई।
नोएडा।पूरी दुनिया में सर्वाधिक संख्या में भारत में पाए जाने वाले एक सींग के गैंडे का शिकार पिछले कुछ वर्षों में कम ज़रूर हुआ है लेकिन अभी भी कई राज्य ऐसे हैं
जहाँ यह अबतक जारी रहा है , समाजसेवी एवं शहर के निवासी श्री रंजन तोमर द्वारा कई वर्षों से लगाई गई। आरटीआई के प्रभाव से असम में स्पेशल राइनो प्रोटेक्शन फाॅर्स बनने के बाद कई सुखद परिणाम आये हैं
, ऐसे में अन्य राज्यों और असम की जानकारी भी लेने के लिए श्री तोमर ने एक आरटीआई वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई जिसके जवाब चौंकाने वाले थे।उन्होंने पिछले पांच वर्षों में कितने गैंडो का शिकार देश भर में राज्य्वार हुआ और कितने अपराधी
पकडे गए ।इसकी जानकारी ब्यूरो से मांगी थी। जवाब में ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में (रंजन तोमर द्वारा इनके बारे में 2018 में ही पहली आरटीआई लगाई थी जिसके बाद 2019 में बदलाव हुए ) में असम में ही 7 गैंडों का शिकार हुआ और 21
शिकारी पकडे गए , जबकि पश्चिम बंगाल में एक शिकार हुआ और 6 गिरफ्तारियां हुई , 2018 में फिर असम में 6 गैंडे मारे गए और 24 गिरफ़्तारी हुईं , 2019 में पश्चिम बंगाल में 2 गैंडों का शिकार हुआ और 1 शिकारी पकड़ा गया जबकि असम में 2 गैंडों
की हत्या हुई और 9 गिरफ़्तारी हुई , 2020 में फिर असम में 3 शिकार हुए और 5 गिरफ़्तारी हुईं , 2021 में 1 शिकार और 5 गिरफ्तारियां असम में हुई। अर्थात कुल 22 गैंडों का शिकार पिछले इन वर्षों में हुआ।2022 एवं 2023 में अबतक देशभर में नहीं
हुआ एक भी शिकार।गौरतलब है की पिछले लगभग डेढ़ वर्षों में एक भी शिकार नहीं हुआ है को सुखद है , असम में ही सबसे ज़्यादा गैंडे पाए जाते हैं और सबसे ज़्यादा शिकार भी आंकड़ों के अनुसार वहां होता था , लेकिन 2018 के अंत में रंजन तोमर द्वारा
लगाई गई आरटीआई से 2008 से 2018 तक सैंकड़ों गैंडो की हत्या का मामला देश भर में सुर्ख़ियों में रहा जिसके बाद असम सरकार ने 82 लोगों की स्पेशल राइनो प्रोटेक्शन फाॅर्स गठित की।जिन्हे अस्लेह से लैस किया गया और जिसके बाद से लगातार
शिकार घटा और यहाँ तक की शून्य तक जा पहुंचा।यह पर्यावरणविदों के लिए सुखद खबर है।जिसपर श्री तोमर ने बेहद संतुष्टि जताई।