बेरोजगारी की रफ्तार फिर से बढ़ने लगी शहरी क्षेत्रों में

जबकि नवंबर माह में यह 7 प्रतिशत थी। संस्था का यह भी कहना है कि दिसंबर में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.3 प्रतिशत पर जा पहुंची। भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल संगठित क्षेत्र के जॉब्स में कमी देखी गयी। यदि वित्त वर्ष 2019-20 से तुलना की

बेरोजगारी की रफ्तार फिर से बढ़ने लगी शहरी क्षेत्रों में

टॉकिंग पॉइंट्स 

बेरोजगारी की रफ्तार फिर से बढ़ने लगी शहरी क्षेत्रों में

नरविजय यादव

भारत कोरोना की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है। ओमिक्रॉन के मामलों में वृद्धि से विभिन्न राज्यों में तरह तरह की बंदिशें लगने लगी हैं। इसी के साथ देश में बेरोजगारी की दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, दिसंबर 2021 में देश में बेरोजगारी की दर 7.9 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर माह में यह 7 प्रतिशत थी। संस्था का यह भी कहना है कि दिसंबर में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.3 प्रतिशत पर जा पहुंची। भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल संगठित क्षेत्र के जॉब्स में कमी देखी गयी। यदि वित्त वर्ष 2019-20 से तुलना की जाये तो चालू वित्त वर्ष में रोजगारों में 25 लाख यानी 22.6 प्रतिशत की कमी पायी गयी है। रोजगार की स्थिति 2021 नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी के दौरान सबसे ज्यादा जिन लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ, उनकी आयु 35 साल से कम थी। विषम परिस्थितियों के चलते 22 लाख लोगों को रोजगार से दूर होना पड़ा। रिपोर्ट में सितंबर 2017 से सितंबर 2021 तक के आंकड़े शामिल किये गये हैं।

कोविड की दूसरी लहर के दौरान पिछले साल मई माह में नौकरियों की कमी रही, तो जुलाई में स्थिति बेहतर होती चली गयी। ब्रिटिश कंपनी आईएचएस की बिजनेस आउटलुक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जून से अक्टूबर, 2021 के बीच सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का बिजनेस ऑप्टिमिज्म 12 से 14 प्रतिशत तक रहा। जापान, ब्राजील और रूस में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर उत्साह रहा, लेकिन भारत जितना नहीं। भारत में प्राइवेट सेक्टर की 14 प्रतिशत कंपनियों ने अगले साल का लेकर अच्छी संभावनाएं जतायी हैं। इस सर्वे रिपोर्ट का यह भी कहना है कि 2022 में सर्विस सेक्टर की कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की इच्छा रखती हैं। यही एक ऐसा सेक्टर है, जो कोविड महामारी के बाद सबसे देरी से ओपन हुआ था।    

 

कोरोना की तीसरी लहर की आहट से कॉर्पोरेट कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम फिर से लौटने लगा है। अनुमान है कि अप्रैल तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे, तब तक दफ्तरों के सामान्य कामकाज बाधित रहेंगे और कर्मचारी अपने अपने घरों से ही काम करेंगे। सिप्ला दवा कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी कर दिया है, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा म्यूचुअल फंड ने कर्मचारियों से तीन दिन ही कार्यालय आने को कहा है, बाकी तीन दिन वे अपने घरों से ही काम करेंगे। महाराष्ट्र में राज्य सरकार के कर्मचारी भी हफ्ते में तीन दिन वर्क फ्रॉम होम नियम का पालन करेंगे। जिन अन्य कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम का नियम लागू हुआ है, उनमें प्रमुख हैं- पारले, फ्लिपकार्ट, डाबर, आरपीजी ग्रुप, मेक माइ ट्रिप और मैरिको। महामारी के दौर में जब कारखाने और दफ्तर लंबे समय तक बंद रहे, तब वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति ने जन्म लिया था। फ्लेक्सी वर्क की जरूरत तो एक अरसे से महसूस की जा रही थी, लेकिन कोई पहल करने को राजी नहीं था। सड़कों पर लगते लंबे-लंबे जाम, यातायात के साधनों पर पड़ते दबाव और प्रदूषण से स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव के नाते दूरी पर स्थित कार्यालयों में पहुंचना एक दुरूह समस्या रही है। वर्क फ्रॉम होम से दूर-दराज और छोटे शहरों के युवाओं को भी बड़ा लाभ हुआ है।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com