बिना डॉक्टर की सलाह के न करें आई फ्लू का इलाज
बाढ़ व मानसून के बाद ओपीडी में आंखों के संक्रमण (आई फ्लू) के मामलों इजाफा हुआ है। हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) में आंखों के विभागाध्यक्ष व दिल्ली नेत्र विज्ञान सोसायटी के सचिव डॉ. जेएस भल्ला ने बताया कि आई फ्लू एक प्रकार का बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण है।
बाढ़ व मानसून के बाद ओपीडी में आंखों के संक्रमण (आई फ्लू) के
मामलों इजाफा हुआ है। हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) में आंखों के
विभागाध्यक्ष व दिल्ली नेत्र विज्ञान सोसायटी के सचिव डॉ. जेएस भल्ला ने बताया कि आई फ्लू एक
प्रकार का बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण है। इसमें आंख लालिमा, सूजन, सफेद व पीले का डिस्चार्ज,
पानी निकलना व रोशनी में आंख का नहीं खुलना इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं। ओपीडी में रोजाना आंखों
के संक्रमण के 30 से 40 मरीज सामने आ रहे हैं।
बच्चों के मामलों में बुखार की भी शिकायत सामने
आ रही है।
बड़ी संख्या में देशभर से सामने आ रहे आईफ्लू के मामले : दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं बल्कि देश के
विभिन्न हिस्से में आई फ्लू के काफी मामले सामने आ रहे हैं। इसे महामारी कहा जा सकता है। गौर
करने वाली बात यह है कि इस बार जो आई फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं, वे गंभीर हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
-मरीजों को ठीक होने में एक सप्ताह का समय लग रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों को सलाह है कि वे
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-साथ ही अपना तौलिया, साबुन व ताकिया अलग रखें।
-आई फ्लू के मरीजों को सलाह है कि वे आंख को साफ करने के लिए नल के पानी के बजाय फिल्टर या
उबले हुए पानी और रुई का इस्तेमाल करें।
-संक्रमित आंख में डिस्चार्ज को एकत्रित न होने दें और घर से बाहर निकलते समय काला चश्मा पहनें।
-इसके अलावा जो लोग कांटेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं, वह अभी प्रयोग से बचें।
जिसे भी आई फ्लू हो वो डॉक्टर की सलाह से ले आई ड्रॉप
डॉ. जेएस भल्ला ने बताया कि ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीज संक्रमण होने के तीन से चार दिन
बाद अस्पताल आ रहे हैं। इस दौरान वे घर में पड़ी आई ड्रॉप या दवा दुकानदार की सलाह अनुरूप आई
ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सरासर गलत है। बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी तरह के आई
ड्रॉप का इस्तेमाल आंख के लिए घातक साबित हो सकता है। लोगों को सलाह है कि घर में जितने भी
लोग आई फ्लू से ग्रस्त हैं,
सभी चिकित्सीय परामर्श अनुसार आई ड्रॉप आंखों में डालें।
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचें
कई मरीज आंखों में स्टेरॉयड का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकता है। अभी एक
से पांच प्रतिशत मामलों में कॉर्नियल अल्सर का खतरा देखा गया है। पर स्टेरायड का इस्तेमाल कॉर्नियल
अल्सर के खतरे को पांच से दस प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
डॉ. जेएस भल्ला बताते हैं कि ऐसे संक्रमित मरीज जिनको लगता है कि उनकी नजर कम हो गई है, धूप
व रोशनी में आंख बिल्कुल भी नहीं खुल रही है, आंख में दर्द अधिक है, आंख से ज्यादा डिस्चार्ज निकल
रहा है और संक्रमण हुए एक सप्ताह से अधिक समय हो चुका है, वे तुंरत चिकित्सीय परामर्श लें।