विश्व जल दिवस : नायडू ने सतत प्रबंधन की जरूरत पर बल दिया
नई दिल्ली, 22 मार्च राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने विश्व जल दिवस के मौके पर मंगलवार को सतत जल प्रबंधन की जरूरत पर बल
नई दिल्ली, 22 मार्च राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने विश्व जल दिवस के मौके पर
मंगलवार को सतत जल प्रबंधन की जरूरत पर बल दिया और कहा कि वर्षा जल संचयन, वनीकरण,
आर्द्रभूमि का
संरक्षण, जलाशयों के पुनर्भरण जैसी जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने में सभी को संवेदनशील बनाना चाहिए।
उच्च सदन में, नायडू ने कहा, ‘‘आज 22 मार्च, विश्व जल दिवस है, यह दिन मीठे पानी के संसाधनों और उनके
सतत प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करने करने के लिए मनाया जाता है।’
’ उन्होंने कहा कि इस वर्ष, ;विश्व जल
दिवस' के लिए संयुक्त राष्ट्र का विषय 'भूजल, अदृश्य को दृश्यमान बनाना
; है, जो अदृश्य संसाधन के रूप में
मौजूद भूजल पर केंद्रित है, हालांकि इसका गहरा प्रभाव हर जगह दिखता है।
नायडू ने कहा कि अपने ग्रह पर जीवन काफी हद तक भूजल पर निर्भर करता है और भूजल हमारे पीने, स्वच्छता,
खाद्य उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति
करता है तथा पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ कामकाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ, पानी की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है
और भूजल संसाधनों पर गंभीर दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आज, हम अपने भूजल संसाधनों को लेकर दोहरी
चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो औद्योगिक अपशिष्टों, खनन गतिविधियों आदि के कारण इसके दोहन और
प्रदूषण की है।’’
नायडू ने कहा कि पानी और जल संसाधनों का संरक्षण देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश के पास
वैश्विक आबादी का 16 प्रतिशत है, लेकिन दुनिया में उपलब्ध ताजे पानी का केवल चार प्रतिशत है।
उन्होंने कहा,
‘‘हमारे प्राचीन ग्रंथों में जल को प्रकृति की दैवीय देन कहा गया है
और ऋग्वेद संहिता ने जल संरक्षण के लिए
प्रेरित करते हुए कहा है कि पौधे और पानी पीढ़ियों के लिए खजाना हैं। उन्होंने कहा कि अथर्ववेद संहिता में हमें
जल प्रदूषण से बचने को कहा गया है।’’