किसान 16 फरवरी को निकलेंगे जुलूस

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसान अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। यह धरना पिछले 14 दिन से लगातार जारी है।

किसान 16 फरवरी को निकलेंगे जुलूस

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसान अपनी मांगों को लेकर
धरना दे रहे हैं। यह धरना पिछले 14 दिन से लगातार जारी है। किसानों ने 16 फरवरी को जुलूस

निकालने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर वह लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं और भारी संख्या में
किसानों को उसके लिए जागरूक कर रहे हैं। दरअसल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसानों की जमीन
का अधिग्रहण किया गया, लेकिन उसके एवज में किसानों को मिलने वाले लाभ नहीं दिए गए। किसानों
का कहना है कि प्राधिकरण के अधिकारी लगातार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिसके चलते
वह धरना देने को मजबूर हैं।


किसान सभा के जिलाध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा ने बताया कि किसान परिषद, जय जवान जय किसान
संगठन, किसान एकता, किसान यूनियन पथिक, भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी और समाजवादी
पार्टी ने 16 फरवरी के जुलूस में शामिल होने का ऐलान किया है। किसान आंदोलन अपने परिणामों की


तरफ है। 8 फरवरी को किसान सभा एवं अन्य संगठनों के साथ पुलिस कमिश्नर से बातचीत में, पुलिस
कमिश्नर ने 11 फरवरी तक का समय मांगा था। उन्होंने आश्वासन दिया था कि तब तक उच्च स्तरीय
अधिकारियों से बातचीत कराकर समस्या का समाधान कराया जाएगा। इसलिए पुलिस कमिश्नर के
आश्वासन को ध्यान में रखते हुए किसान सभा ने 16 तारीख के जुलूस की घोषणा की है। रुपेश वर्मा ने
कहा कि, इस किसानों के आंदोलन में यमुना प्राधिकरण के किसान भी एकजुट हो रहे हैं और इस बार
आर पार की लड़ाई अंतिम चरण में है। हम जीत कर ही दम लेंगे।


उन्होंने बताया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद, उनको
मिलने वाले 10 फीसदी आवासीय प्लॉट नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को मुआवजा, बैक
लीज, रोजगार सहित अन्य मांगे अभी तक प्राधिकरण के द्वारा पूरी नहीं की हैं। इससे पहले भी जब
किसानों का आंदोलन हुआ था, तो अधिकारियों ने किसानों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया
था। इसके बाद अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसानों की मांगों को शासन स्तर पर भेज
कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। किसानों की मांगों को पूरा न होने के बाद, किसान अब दोबारा


प्राधिकरण के कार्यालय पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार
किसान तब तक नहीं मानेंगे, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी।