तेलंगाना में विधायकों की अवैध खरीद फरोख्त मामले की जांच जारी
हैदराबाद, 11 नवंबर ( विधायकों की खरीद फरोख्त मामले की जांच कर रही तेलंगाना पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने शुक्रवार को दूसरे दिन भी आरोपियों से पूछताछ जारी रखी।
हैदराबाद, 11 नवंबर (। विधायकों की खरीद फरोख्त मामले की जांच कर रही तेलंगाना
पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने शुक्रवार को दूसरे दिन भी आरोपियों से पूछताछ जारी
रखी। पुलिस आरोपी को चंचलगुडा जेल से हिरासत में लेकर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी ले आई। पता
चला है कि जांच टीम आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत बनाने के लिए उनका ऑडियो रिकॉर्ड करेगी।
पुलिस के पास पहले से ही आरोपी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, सिम्हायाजी और नंदकुमार की
वीडियो और ऑडियो रिकॉडिर्ंग है। ये रिकॉडिर्ंग 26 अक्टूबर को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक
फार्महाउस में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चार विधायकों से कथित तौर पर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का लालच देने के लिए मिलने के दौरान की गई थी।
साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक की गुप्त सूचना पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। एसआईटी
टीआरएस विधायकों के साथ हुई बातचीत के आधार पर आरोपियों से और जानकारी जुटाने की
कोशिश कर रही है। एसआईटी अधिकारियों ने पहले दिन राजेंद्रनगर थाने में आरोपी से पूछताछ की
थी।
जांच अधिकारी उन लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जो विधायकों को खरीदने की कोशिश
के पीछे हैं।
वे यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें 250 करोड़ रुपये देने के लिए
कौन राजी हुआ था।
तेलंगाना हाई कोर्ट द्वारा जांच पर रोक हटाने के बाद राज्य सरकार ने बुधवार को मामले की जांच
के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी का नेतृत्व हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सी वी
आनंद कर रहे हैं। छह अन्य पुलिस अधिकारी टीम के सदस्य हैं।
कथित तौर पर भाजपा के एजेंट कहे जाने वाले तीनों आरोपियों को 26 अक्टूबर की रात हैदराबाद के
पास मोइनाबाद में एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया गया था,
जब वे कथित तौर पर टीआरएस के
चार विधायकों को मोटी रकम के लालच में फंसाने की कोशिश कर रहे थे।
साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापेमारी की। उन्होंने
आरोप लगाया कि आरोपी ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की
पेशकश की। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की
विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।