भारत बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स का गढ़, पैदा होंगे रोजगार

कार ही क्यों, इलेक्ट्रॉनिक्स की तमाम वस्तुओं का यही हाल है। इनमें टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, वीडियो गेम कंसोल आदि कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट शामिल हैं। इन सबके निर्माण में सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग होता है, जिनकी भारी किल्लत है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया

भारत बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स का गढ़, पैदा होंगे रोजगार

टॉकिंग पॉइंट्स 

नरविजय यादव

मेरे एक वकील मित्र ने दीवाली पर अपनी पसंदीदा कार की बुकिंग करायी थी, लेकिन कार की डिलीवरी तो दूर, अभी तक उन्हें कंपनी की ओर से कोई माकूल जवाब नहीं मिला है कि कार आखिर कब तक मिलेगी। यह हाल इन दिनों करीब करीब हर कार कंपनी का है। बाजार में कारों की मांग है, लेकिन सप्लाई नहीं हो पा रही है। कार ही क्यों, इलेक्ट्रॉनिक्स की तमाम वस्तुओं का यही हाल है। इनमें टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, वीडियो गेम कंसोल आदि कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट शामिल हैं। इन सबके निर्माण में सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग होता है, जिनकी भारी किल्लत है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया का यही हाल है। वैसे तो इलेक्ट्रॉनिक्स का साजो सामान बनाने में अभी तक चीन अव्वल रहा है, लेकिन अब पांसा पलटने वाला है। केंद्र सरकार एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स का हब बनाने में जुट गयी है। ऐसा होने पर हमारे देश के लाखों काबिल युवाओं के लिए रोजगार के तमाम अवसर पैदा होंगे। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में ही सेमीकंडक्टर (अर्धचालकों) के उत्पादन से जुड़ी एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी।

 

ज्ञात हो कि कोविड महामारी के चलते माइक्रोचिप्स या सेमीकंडक्टर्स की कमी से दुनिया भर में औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हो रहा है। अब देश में ही सेमीकंडक्टर्स के निर्माण का एक संपूर्ण इको सिस्टम स्थापित किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट पर अगले छह वर्षों में 76,000 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इस योजना में कंपाउंड सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन (फैब), असेंबली, टेस्टिंग और पैकेजिंग सुविधा की इकाई स्थापित करने पर व्यय होने वाली राशि पर 25 प्रतिशत प्रोत्साहन का प्रावधान रहेगा। योजना में अर्धचालकों के डिजाइन और विकास के लिए स्टार्ट-अप हेतु प्रोत्साहन भी शामिल है। सरकार को उम्मीद है कि मीडियाटेक, इंटेल, क्वालकॉम और टैक्सास इंस्ट्रूमेंट्स जैसी बड़ी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में रुचि ले सकती हैं। यह पॉलिसी ऐसे समय में सामने आयी है जब दुनिया सेमीकंडक्टर चिप्स की गंभीर कमी से जूझ रही है। इन चिप्स का सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होता है। कोविड के कारण चिप्स की सप्लाई बाधित हो गयी, जिससे उत्पादन केंद्रों को धीरे धीरे बंद करने की नौबत आने लगी।

 

भारत में बड़ी कार कंपनियां दुविधा में हैं। चूंकि समस्या लंबी चलने वाली है और इसका तात्कालिक समाधान नहीं है, इसलिए टाटा मोटर्स ने खुद से चिप बनाने का निर्णय लिया है। कंपनी इसके लिए आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेम्बली एवं टेस्टिंग प्लांट लगायेगी। इस तरह के प्लांट में सिलिकॉन वेफर्स को चिप में बदला जाता है। यह प्लांट तमिलनाडु, कर्नाटक अथवा तेलंगाना में लगाया जा सकता है, हालांकि अभी इस बारे में अंतिम निर्णय राज्य सरकारों की सहमति मिलने के बाद ही लिया जायेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए टाटा समूह 2200 करोड़ रुपये तक निवेश कर सकता है। अक्टूबर माह में कारों की थोक बिक्री में 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई, जो कि कोविड-पूर्व, अक्टूबर 2019 की बिक्री से 16.7 प्रतिशत कम है। यानी कोविड काल में जितनी कारों की सेल हुई, उससे भी कम कारें अब बिकी हैं। बीते सितंबर में तो स्थिति और भी खराब थी, जब थोक बिक्री सालाना आधार पर 41.16 प्रतिशत घट गयी और सितंबर 2019 के मुकाबले करीब 26 प्रतिशत कम रही। स्मार्टफोन उत्पादन में भारत पहले ही प्रगति पथ पर है, आगे और तरक्की होगी। narvijayindia@gmail.com