यूरिनरी ब्लाडर कैंसर से पीडि़त 58 साल की महिला का हुआ सफल इलाज

मरीज को यूरिनरी ब्लाडर में कैंसर का पता चला तो उसकी संपूर्ण जांच कराई गई और पाया गया कि उसका कैंसर ब्लाडर तक ही सीमित था और शरीर के अन्य हिस्सों में अभी नहीं फैला था।

यूरिनरी ब्लाडर कैंसर से पीडि़त 58 साल की महिला का हुआ सफल इलाज
वैशाली उत्तर प्रदेश :  यूरिनरी ब्लाडर कैंसर से पीडि़त 58 साल की महिला का सफल इलाज कर वैशाली स्थित मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ  कैंसर केयर के डॉक्टरों ने जान बचा ली। मरीज को यूरिनरी ब्लाडर में कैंसर का पता चला तो उसकी संपूर्ण जांच कराई गई और पाया गया कि उसका कैंसर ब्लाडर तक ही सीमित था और शरीर के अन्य हिस्सों में अभी नहीं फैला था। कैंसर के आक्रामक वैरिएंट और ब्लाडर तक ही अभी सीमित रहने की स्थिति को देखते हुए मरीज के लिए सर्जरी कराना ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प था जिसके जरिये यूरिनरी ब्लाडर तथा लिंफ नोड्स निकाला जाना था और मरीज की छोटी आंत का इस्तेमाल करते हुए पेशाब निकासी का नया मार्ग बनाना था। संपूर्ण सर्जरी पेट की बड़ी शल्यक्रिया के बगैर रोबोटिक पोर्ट (सिर्फ 8 एमएम का कट) से पूरी की गई। इसके बाद रोबोटिक उपकरणों (टोटल इंट्राकॉर्पोरियल यूरिनरी डायवर्जन) के इस्तेमाल से मूत्रमार्ग बनाया गया और मरीज को कोई और कट नहीं लगने के लिए इसका स्वरूप बचा लिया गया। इससे रोबोटिक सर्जरी का असाधारण लाभ मिला और घाव से संक्रमण की संभावना भी नहीं रही। 
वैशाली स्थित मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर में यूरोलॉजिक ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक्स के प्रमुख कंसल्टेंट डॉ. पुनीत अहलूवालिया ने बताया कि, चूकि मरीज के पेट में पहले ही कई सर्जरी हो चुकी थी, इसलिए उनकी सर्जरी करना बड़ी चुनौती थी। लिहाजा मरीज और उसके रिश्तेदारों से व्यापक चर्चा के बाद मरीज का रोबोटिक रेडिकल सिस्टेक्टोमी कराने का फैसला किया गया। मरीज शीघ्र ही रिकवर होने लगी और अगले ही दिन चलने-फिरने के काबिल हो गई। उसे अस्पताल में ज्यादा दिन रहना भी नहीं पड़ा और न ही रक्तस्राव, दर्द और संक्रमण का कोई खतरा रहा। इस तरह की सर्जरी में रोबोट की मदद से हम कोई बड़ा कट लगाए बगैर सर्जरी करने में सफल हो पाए जिस कारण ऑपरेशन के बाद जख्म से होने वाले संक्रमण, पेट फूलना और हर्निया बनने की नौबत ही नहीं आई। ग्लोबाकैन इंडिया की फैक्टशीट 2020 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि 2020 में ब्लाडर कैंसर के मामले पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले करीब 13 फीसदी बढ़े हैं और इसके नए मामले 21096 हो गए। वर्ष 2018 में जहां इससे होने वाली मृत्यु 5129 थी वहीं 2020 में दोगुना होकर 11154 पहुंच गई।   
ऑपरेशंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. गौरव अग्रवाल ने कहा, हम हमेशा सर्जरी को सुरक्षित और किफायती बनाने के लिए तकनीकों और टेक्नोलॉजी उन्नत करने पर काम करते हैं। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी दा विन्सी शी रोबोट से लैस हमारे सर्जन कंप्यूटर निर्देशित,मैग्नीफाइड, 3डी विजुअलाइजेशन का इस्तेमाल करते हुए जटिल सर्जरी करने में सक्षम होंगे और इसके परिणाम शानदार होंगे। रोबोट की सहायता से होने वाली सर्जरी दा विन्सी शी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है जो अस्पताल की तकनीकी प्रगति की दिशा में एक नया जुड़ाव है। रोबोटिक सर्जरी में बड़े कट की जगह छोटा कट लगाया जाता है जिस कारण परंपरागत सर्जरी के मुकाबले यह कम खतरनाक होती है। इससे न सिर्फ मरीज को कम समय में रिकवरी मिल जाती है बल्कि सर्जरी केबाद उसके जीवन की गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार होता है।