2022 में ज्यादा समय, धन व ऊर्जा कैसे हासिल हो
जो है उसका अधिकतक उपयोग कैसे किया जाये और जो नहीं है उसे पाया कैसे जाये, यह एक बड़ी चुनौती है, जिससे हर कोई जूझ रहा है। ऐसे में, बाजार और मीडिया है जो लगातार उन चीजों में उलझाए रखता है, जिनकी हमें आपको जरूरत ही नहीं है।
टॉकिंग पॉइंट्स
2022 में ज्यादा समय, धन व ऊर्जा कैसे हासिल हो
नरविजय यादव
नया साल दस्तक देने वाला है। जाता हुआ साल बड़ा अजीबोगरीब रहा। सभी का जीवन अस्त व्यस्त कर गया। कुछ छीन ले गया, कुछ सिखा गया। परंतु, कई तरह के अफसोस भी छोड़ गया। जीवन पहले जैसा नहीं रहा। कुछ तो कोविड महामारी के कारण और कुछ सोशल मीडिया तथा इंटरनेट के कारण। कुछ काम आसान हुए हैं, तो बहुत कुछ कीमत भी चुकानी पड़ी है। मोबाइल और सोशल मीडिया लोगों को जितना करीब लाया है, उतना ही इसने अपनों से दूर भी कर दिया है। अब रिश्तों में पहले जैसी गर्माहट नहीं रही। हम सबको जीवन में एक निश्चित मात्रा में समय, ऊर्जा और धन मिला है। जो है उसका अधिकतक उपयोग कैसे किया जाये और जो नहीं है उसे पाया कैसे जाये, यह एक बड़ी चुनौती है, जिससे हर कोई जूझ रहा है। ऐसे में, बाजार और मीडिया है जो लगातार उन चीजों में उलझाए रखता है, जिनकी हमें आपको जरूरत ही नहीं है।
फिर किया क्या जाये? इसी ऊहापोह में मैंने सोचा कि चलो इस बार 'लैस इज मोर' का नियम अपनाया जाये। कम से कम चीजों के साथ जीना सीखा जाये, यानी अनुपयोगी चीजों और विचारों को गुडबाय कहा जाये और जीवन के लिए महत्वपूर्ण बातों पर गौर फरमाया जाये। विचारकों की भाषा में इसे मिनिमलिज्म अथवा न्यूनतावाद कहा जाता है। जैसे सफर में कम सामान लेकर निकला जाये तो सहूलियत होती है, वैसे ही जीवन की यात्रा में भी फालतू चीजों को हटाते चलने से राह आसान हो जाती है। इस सिद्धांत का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, हमें इस पर विचार करना होगा कि हम प्रत्येक दिन कैसे जी रहे हैं। हम अपना दिन कैसे बिताते हैं, निश्चित रूप से, इसी से तय होता है कि हम अपना जीवन कैसे व्यतीत करते हैं। यह वास्तव में आपके जीवन में महत्वपूर्ण चीज़ों को प्राथमिकता देने में आपकी मदद करने वाला एक टूल है।
'बीइंग मिनिमलिस्ट' के जोशुआ बेकर के शब्दों में "मिनिमलिज्म का अर्थ उन चीजों को महत्व देना है जो आपको खुशी देती हैं।" कम से कम चीजों के साथ जीवन का यह सिद्धांत हर कोई अपने जीवन में लागू कर सकता है और इससे भरपूर लाभ उठा सकता है। इसकी शुरुआत छोटे छोटे कदमों से की जा सकती है, जैसे कि अपने घर की आलमारियों से बारी बारी फालतू चीजों को हटाते चलना और काम की चीजों को व्यवस्थित करते चलना। मॉल, मेले, ऑनलाइन और दुकानों से ऐसी चीजें मत खरीदिए जिनकी आपको जरूरत नहीं है, भले ही कितनी ही बड़ी सेल या ऑफर क्यों न दिया जा रहा हो। परंतु वे चीजें अवश्य खरीदी जायें जिनकी आपको नये लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आवश्यकता है। कोई भी बड़ा बदलाव रातोंरात नहीं हो जाता, धीरे धीरे घर से फालतू चीजें हटाइए और आपको अपना घर पहले से अधिक सुकून देने वाला लगने लगेगा। इस सिद्धांत को एक फिल्टर मानिए जो अनावश्यक चीजों, विचारों और लोगों की छंटनी करेगा, और आप अपने मनचाहे लाइफस्टाइल के करीब पहुंचते जायेंगे। एक साफ सुथरे घर में रहना, जहां हर चीज व्यवस्थित हो, संतुलित हो, बहुत शांतिदायक और सुकून भरा हो सकता है। जीवन में विष घोलने वाले रिश्तों और लोगों से भी दूरी बनाइए। साथ ही मोबाइल फोन, ऐप्स और सोशल मीडिया को भी सीमित कीजिए, ताकि आपको अधिक और क्वालिटी टाइम मिल सके।
नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।
ईमेल: narvijayindia@gmail.com