आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर द्वारा वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर रोक लगाने की की गई मांग

ग्रेटर नोएडा। आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुध नगर द्वारा वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस संबंध में एक सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री के लिए पत्र प्रेषित किया गया है।

आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर द्वारा वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर रोक लगाने की की गई मांग

आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर द्वारा वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर रोक लगाने की की गई मांग

ग्रेटर नोएडा। आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुध नगर द्वारा वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस संबंध में एक सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री के लिए पत्र प्रेषित किया गया है। जिसमें नये कानून के अंतर्गत वक्फ बोर्ड को अत्यंत सीमित अधिकार देने की बात कही गई है।


इस संबंध में आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा प्रेषित किए गए पत्र में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड वास्तव में देश के लोकतांत्रिक पंथनिरपेक्ष स्वरूप के साथ किया गया सबसे बड़ा धोखा है। हमारे देश का संविधान किसी भी प्रकार के मजहबी तुष्टिकरण का विरोधी है। ' राज्य का कोई मजहब नहीं होगा ' इसका अभिप्राय है कि वह किसी भी पंथ का समर्थक नहीं होगा। मजहबी मान्यताओं से ऊपर होकर अपने राजधर्म का निर्वाह करेगा। इसलिए राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसा कोई कानून न बनाये जिससे किसी एक मजहब का तुष्टिकरण हो और दूसरे के अधिकारों में कटौती हो या उसके हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो या किसी एक पंथ को किसी कानून की आड़ में देश  देश की एकता और अखंडता से खेलने का अवसर उपलब्ध हो जाए।


  डॉ आर्य ने आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान की हैसियत से मांग उठाई है कि नये एक्ट में बोर्ड की तानाशाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले यह देखना अनिवार्य होना चाहिए कि ऐसी संपत्ति किसी भी रूप में किसी गैर मुस्लिम की नहीं होनी चाहिए यदि कोई गैर मुस्लिम मुस्लिम मत को स्वीकार करता है और वह अपनी किसी संपत्ति या संपत्ति के अंश को दान करता है तो उसके पुराने मूल परिवार की सहमति इस संबंध में ली जानी आवश्यक की जानी चाहिए। यदि कोई भी ऐसी संपत्ति जो वक्फ के लिए दान की जा रही है , किसी भी गैर मुस्लिम के धर्म स्थल के निकट है या किसी शैक्षणिक संस्थान के निकट है तो उसे भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित न किया जाए। 


  हमें किसी भी संपत्ति को वक्फ में दान देने की प्रक्रिया की समीक्षा के लिए अपनी संवैधानिक मशीनरी के अंतर्गत कार्यरत न्यायालयों की अधिकारिता काफी ध्यान रखना है।

देश के मौलिक लोकतांत्रिक स्वरूप को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए न्यायालय के क्षेत्राधिकार को सीमित करते हुए किसी भी मत, पंथ या संप्रदाय के निजी कानून के अनुसार बनने वाली अदालतों को अधिक अधिकार देना देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करना है। इसलिए वक्फ बोर्ड से संबंध रखने वाले पंथीय न्यायालयों को पूर्णतया समाप्त किया जाना चाहिए। आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा यह भी मांग की गई है कि वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास जितनी संपत्ति है, उसकी निष्पक्ष जांच के लिए भी एक आयोग गठित किया जाना चाहिए। यदि ऐसी संपत्ति गैर इस्लामिक सिद्ध होती है तो उसे तुरंत उसके मूल मालिकों को लौटाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐसी व्यवस्था के लिए मानक निर्धारित किए जाने अपेक्षित हैं।

यदि कोई संपत्ति अपने मूल स्वरूप में किसी भी गैर मुस्लिम की रही है और उसे बोर्ड के द्वारा गलत हथकंडा अपना कर वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है तो इसे गैर कानूनी माना जाना चाहिए।

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