Lucknow के जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने लखनऊवासियों को बड़ी राहत दे दी गई है। आवास विकास परिषद ने बुधवार को घोषणा की है

Lucknow के जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी

Lucknow के जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने लखनऊवासियों को बड़ी राहत दे दी गई है। आवास विकास परिषद ने बुधवार को घोषणा की है कि अगर संपत्ति का मालिक एक ही व्यक्ति या उसके नजदीकी रिश्तेदार हैं तो पड़ोसी भूखंडों को मिलाने की अनुमति दी जाएगी। आवासीय संपत्तियों के लिए आरक्षित दरों का 2 फीसदी भुगतान करने पर दो भूखंडों को एक इकाई में मिलाने की अनुमति होगी, जबकि व्यावसायिक संपत्तियों के लिए 5 फीसदी का भुगतान करने पर चार भूखंडों को मिलाने की अनुमति होगी।

संपत्ति मालिकों को दो भूखंडों को मिलाने की अनुमति के लिए आवश्यक शुल्क के साथ बोर्ड को भवन योजना प्रस्तुत करनी होगी। इस कदम से राज्य भर के हजारों संपत्ति मालिकों को लाभ होगा, क्योंकि नीति में बोर्ड की ओर से अतीत में क्रियान्वित की गई सभी योजनाओं को शामिल किया जाएगा। एक अन्य निर्णय में, जो सरकारी कर्मचारियों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सरकारी एजेंसियों के लिए काम करने वालों को लाभान्वित करेगा, आवास बोर्ड बोर्ड को लागत का 50 फीसदी भुगतान करने पर संपत्तियों का कब्जा देगा।

आवास विकास परिषद में अभी तक पूरी राशि जमा कराने के बाद ही कब्जा दिया जाता था। बुधवार को करीब छह घंटे चली बोर्ड बैठक में कुल 34 एजेंडे पर विचार कर उन्हें मंजूरी दी गई। बैठक की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने आवास आयुक्त बलकार सिंह के साथ की। भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण 15 मंजिल से अधिक के ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने वाले बिल्डरों से स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट मांगेगा। बोर्ड ने बाराबंकी में देवा रोड पर एक निजी डेवलपर को इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने की भी मंजूरी दे दी।

वर्ष 2016 में आवास बोर्ड ने 46 एकड़ भूमि पर टाउनशिप बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन विभिन्न समस्याओं के कारण परियोजना को क्रियान्वित नहीं किया जा सका। लंबे समय के बाद लाखों किसानों की मांगों पर ध्यान देते हुए आवास बोर्ड ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2014 के प्रावधानों के अनुसार पूर्व में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने पर सहमति जताई है।हालांकि, वर्ष 2014 से भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है, लेकिन आवास बोर्ड की ओर से पूर्व में शुरू की गई 42 योजनाएं किसानों की लंबित मांगों के कारण अभी भी आंशिक रूप से अधर में लटकी हुई हैं।

अतिरिक्त आवास आयुक्त एवं सचिव नीरज शुक्ला ने बताया कि इस कदम से एक लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा।