आनन्द वृन्दावन में धूमधाम से मनाया गया स्वामी अखंडानंद सरस्वती का सन्यास जयंती महोत्सव
वृन्दावन।मोतीझील क्षेत्र स्थित आनन्द वृन्दावन (अखंडानंद आश्रम) में आश्रम के संस्थापक स्वामी अखंडानंद सरस्वती का सन्यास जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।

आनन्द वृन्दावन में धूमधाम से मनाया गया स्वामी अखंडानंद सरस्वती का सन्यास जयंती महोत्सव
वृन्दावन।मोतीझील क्षेत्र स्थित आनन्द वृन्दावन (अखंडानंद आश्रम) में आश्रम के संस्थापक स्वामी अखंडानंद सरस्वती का सन्यास जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।महोत्सव के अंतर्गत पूज्य महाराजश्री की प्रतिमा का संतों व भक्तों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पंचामृत से अभिषेक कर पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात उनकी विशेष आरती की गई।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सन्त प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज वेद-वेदांत, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण आदि धर्मग्रंथों के अलावा भक्ति शास्त्र के भी प्रकांड विद्वान थे।पूज्य महाराजश्री के द्वारा रचित ग्रंथों को पढ़कर असंख्य लोग आज भी प्रभु भक्ति का अपार आनन्द प्राप्त कर रहे हैं।
अखंडानंद आश्रम के अध्यक्ष महंत स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज व डॉ. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव पूज्य स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज ने सन् 1942 में प्रयागराज अर्धकुंभ के अवसर पर ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीस्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज से सन्यास परंपरा की दीक्षा ली थी।तत्पश्चात वे शांतनु बिहारी द्विवेदी से स्वामी अखंडानंद सरस्वती नाम से प्रसिद्ध हुए।
स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज व संत सेवानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि सदगुरुदेव स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज अत्यंत उदारवादी व सेवाभावी संत थे। वे प्रत्येक प्राणी मात्र में परमात्मा का दर्शन करते थे।वर्तमान में नई पीढ़ी के लिए पूज्य महाराजश्री का जीवन दर्शन सदैव ही प्रेरणा व ऊर्जा प्रदान करने वाला है।
महोत्सव में संत शिव स्वरूप महाराज, स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज, स्वामी प्रेमानंद महाराज, पण्डित विजय दीक्षित, श्रीराम चैतन्य महाराज, आचार्य शिव स्वरूप महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, संत रामनरेश महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा एवं आचार्य मनोज शुक्ला आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी महाराज ने किया।
महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।जिसमें सैकड़ों व्यक्तियों ने भोजन-प्रसाद ग्रहण किया।