ग्यारह दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव
ग्यारह दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ से सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को भगवान शिव की महिमा बताते हुए महंत आचार्य रामदेव चतुर्वेदी महाराज ने कहा कि भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति हैं।
सहज ही में प्रसन्न होकर भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करते हैं भगवान शिव
वृन्दावन।बांके बिहारी कॉलोनी स्थित ठा. श्रीकौशल किशोर राम मन्दिर में अखिल भारतीय श्रीराम मित्र मंडल के द्वारा श्रावण मास व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन उपलक्ष्य में चल रहे ग्यारह दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ से सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को भगवान शिव की महिमा बताते हुए महंत आचार्य रामदेव चतुर्वेदी महाराज ने कहा कि भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति हैं।भगवान शिव अपने भक्तों से सहज ही में प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए है, परंतु शिव ने विवाह भी कर संसार को गृहस्थ आश्रम में रहकर भी वैराग्य व योग धर्म का अनुशरण करना भी सिखाया है।
उन्होंने कहा कि जहां भी सत्य है, वहीं शिव का वास है।शिव के साथ सारी विषमता है। वे औघड़ हैं, आशुतोष हैं, देवों में महादेव हैं, रुद्र हैं, गृहस्थ हैं, महायोगी हैं, त्यागी और तपस्वी हैं, पिता है, गुरु हैं, मृत्यु हैं, जीवन हैं।वे ज्ञान का वेद हैं, संगीत के स्वर हैं, ध्यान के उत्स हैं। उनमें नृत्य वास करता है, जिससे जीवन को गति मिलती है। वे प्रेमी हैं, ऋषियों के गुरु हैं, देवताओं के रक्षक और मानवों के आदर्श हैं।वस्तुत: भगवान शिव की आराधना करने से मोक्ष मिलता है।
महोत्सव में महामंण्डलेश्वर भास्करानन्द महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, मथुरा से तीर्थ प़ोहित संघ के अध्यक्ष भागवताचार्य लालजी भाई शास्त्री, संजय चतुर्वेदी, संत सेवानंद ब्रह्मचारी, आचार्य विश्वनाथ शास्त्री, महोत्सव के संयोजक आचार्य लवदेव चतुर्वेदी,आचार्य कुशदेव चतुर्वेदी, डॉ. राधाकांत शर्मा, संगीताचार्य शंभुशरण महाराज, श्रीमती कुंजलता चतुर्वेदी एवं श्रीमती प्रिया चतुर्वेदी आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।