देश में करोड़ों युवा बेरोजगार, अवसरों की वाकई में कमी

स्कूल कॉलेज लगातार बंद रहने से पढ़ाई में वैसे ही बाधा पड़ गई। ऊपर से नौकरियों के अवसर न सरकारी विभागों में नजर आ रहे हैं, न ही निजी संस्थानों में। युवाओं के साथ यह अच्छा नहीं हुआ। इस हालत को बदलना ही होगा।

देश में करोड़ों युवा बेरोजगार, अवसरों की वाकई में कमी

टॉकिंग पॉइंट्स 

देश में करोड़ों युवा बेरोजगार, अवसरों की वाकई में कमी

नरविजय यादव

भारत बदलाव के दौर से गुजर ही रहा था कि महामारी का साया पड़ गया। दोनों ने मिल कर रोजगार और अवसरों को मानो निगल ही लिया। इस स्थिति को समय रहते बदला न गया तो बहुत देर हो जाएगी। स्कूल कॉलेज लगातार बंद रहने से पढ़ाई में वैसे ही बाधा पड़ गई। ऊपर से नौकरियों के अवसर न सरकारी विभागों में नजर आ रहे हैं, न ही निजी संस्थानों में। युवाओं के साथ यह अच्छा नहीं हुआ। इस हालत को बदलना ही होगा। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के नवीनतक आंकड़ों के अनुसार, 2021 में सितंबर से दिसंबर के बीच देश में बेरोजगारों की संख्या 3.18 करोड़ थी, जिनमें ज्यादातर की उम्र 29 साल से कम थी। आपको बता दें कि साल 2020 में लॉकडाउन के वक्त 2.93 युवा बेरोजगार थे। ये आंकड़े उन युवाओं के हैं जो काम की तलाश में यहां वहां आवेदन करते रहते हैं। करीब सवा करोड़ बेरोजगार युवा ऐसे भी हैं जो काम न मिलने से निराश हो चुके हैं और अब कही आवेदन नहीं करते हैं। इनको भी शामिल करने पर बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा सवा चार करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है।

 

आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में बेरोजगारों की संख्या सबसे ज्यादा राजस्थान में है, जहां 65 लाख बेरोजगार हैं, जिनमें करीब 21 लाख ग्रेजुएट शामिल हैं। दूसरे नंबर पर है बिहार, जहां करीब 39 लाख युवा बेरोजगार हैं। इस सूची में 28.41 लाख बेरोजगारों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है। कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के साथ ही भारत में बेरोजगारी की दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है। दिसंबर 2021 में देश में बेरोजगारी की दर 7.9 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर माह में यह 7 प्रतिशत थी। दिसंबर में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.3 प्रतिशत पर जा पहुंची। भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में संगठित क्षेत्र के जॉब्स में कमी दर्ज हुई है। यदि वित्त वर्ष 2019-20 से तुलना की जाये तो चालू वित्त वर्ष में रोजगारों में 25 लाख यानी 22.6 प्रतिशत की कमी पायी गयी है।

 

रोजगार की स्थिति 2021 नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी के दौरान सबसे ज्यादा जिन लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ, उनकी आयु 35 साल से कम थी। विषम परिस्थितियों के चलते 22 लाख लोगों को रोजगार से दूर होना पड़ा। रिपोर्ट में सितंबर 2017 से सितंबर 2021 तक के आंकड़े शामिल किये गये हैं। कोविड की दूसरी लहर के दौरान गत वर्ष मई माह में नौकरियों की कमी रही, तो जुलाई में स्थिति बेहतर होती चली गयी। साल 2022 के नजरिए से देखें तो नये मिजाज के बिजनेस थोड़ी उम्मीद जगाते हैं, विशेष तौर पर तकनीकी कामधंधे। बदलते वक्त के साथ कदमताल करते हुए, अनेक कंपनियां तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि कर रही हैं। इससे पता चलता है कि कंपनियों के काम के तरीके बदल रहे हैं और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आने वाले समय में तकनीकी शिक्षा और समझ वाले युवाओं की मांग बढ़ती जायेगी। टैक्नोलॉजी से जुड़े जॉब्स में तनख्वाह 40-50 प्रतिशत तक बढ़ रही है। जाहिर है कि तकनीकी शिक्षा लेने वालों के लिए स्थिति थोड़ी बेहतर है। उम्मीद है कि आने वाले महीनों में रोजगार की स्थिति में कुछ सुधार होगा। 

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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com