रुई सी बर्फ पर उछलते कंगारू और हवा में लहराता तिरंगा
पिताश्री वहीं शिक्षक थे तो बच भागने का कोई रास्ता भी नहीं होता था। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, या फिर बापू का जन्मदिन, इन सभी दिवसों पर मेरी जिम्मेदारी एक सी रहती थी, सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार करना और पेश करना, एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन।
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रुई सी बर्फ पर उछलते कंगारू और हवा में लहराता तिरंगा
नरविजय यादव
छब्बीस जनवरी का जिक्र आते ही जीआईसी बदायूं के वे दिन याद आ जाते हैं जब सबको लड्डू मिलने की खुशी होती थी और मुझे इस बात की टेंशन रहती थी कि स्कूल के स्टेज पर देशभक्ति की कौन सी कविता सुनानी होगी। पिताश्री वहीं शिक्षक थे तो बच भागने का कोई रास्ता भी नहीं होता था। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, या फिर बापू का जन्मदिन, इन सभी दिवसों पर मेरी जिम्मेदारी एक सी रहती थी, सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार करना और पेश करना, एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन। दिल्ली की अखबारी लाइन में पहुंचा तो रक्षा मंत्रालय की बीट मिली कवर करने को। इस नाते राजपथ पर निकलती सतरंगी परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक के कार्यक्रमों को नजदीक से देखने समझने के विशिष्ट मौके मिलते रहे। दिल्ली में सबसे अच्छी और सुकून देने वाली कोई जगह लगती है तो वो है इंडिया गेट के आसपास का एरिया। एक असीम संतुष्टि और गौरव की अनुभूति होती है राष्ट्रीय महत्व के भारतीय स्मारकों को देख कर।
कंगारू और कोआला के देश ऑस्ट्रेलिया में भी लोग बहुत अच्छा महसूस कर रहे होगे आज, क्योंकि 26 जनवरी के दिन ही 1788 में इस खूबसूरत देश की एक ब्रिटिश कॉलोनी के रूप में स्थापना हुई थी, जब न्यू साउथ वेल्स के प्रथम गवर्नर ने सिडनी में पहली बार यूनियन जैक का झंडा फहराया था। स्विस आल्प्स से कहीं ज्यादा बर्फ ऑस्ट्रेलियन आल्प्स पर गिरती है। वैसे बर्फ तो इस हफ्ते हिमालय पर मौजूद राज्यों में भी तबियत से गिर रही है। मनाली से लेकर शिमला और उत्तराखंड के ऊंचे स्थान बर्फ से लकदक हैं। केदारनाथ मंदिर के आसपास दस फीट तक ऊंची बर्फ जमा हो गयी है। हिमाचल प्रदेश में शिमला बर्फ से सराबोर है और इसका आनंद लेने के लिए सैलानी पूरे दलबल के साथ पहाड़ों की रानी का दीदार करने पहुंच गए हैं। कारोबारी बताते हैं कि शिमला के 80 प्रतिशत होटल फुल हो गए हैं और कमरों के दाम तीन गुना तक वसूले जा रहे हैं। वैसे इसमें कुछ गलत भी नहीं है, क्योंकि पर्यटन उद्योग वैसे ही बहुत बुरे दौर से गुजरा है पिछले दो सालों में। दूसरे, बर्फबारी के समय खाने से लेकर रहने तक का इंतजाम करना भी सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा मुश्किल भरा हो जाता है।
शिमला के रिज मैदान पर शान से फहराते विशाल तिरंगे को स्नोफाल के बीच देख कर मन ऑस्ट्रेलिया पहुंच सकता है कि वहां भी कंगारू खुशी से उछल रहे होंगे। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार जनवरी में बर्फबारी और बारिश ने पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। पहाड़ों पर बर्फ गिरती है तो मैदान ठिठुरने लगते हैं। दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश ही नहीं, इस बार की ठंड तो मुंबई तक जा पहुंची है। मुंबई में इन दिनों आमतौर पर मौसम सुहाना रहता है और अक्सर घरों में लोग पंखा चला कर सोते हैं। परंतु अभी तो तीन चार दिन मौसम में ठंड का असर रहेगा। जनवरी में बारिश के बाद मैदानी इलाकों में कोहरा बहुत पड़ता है। कोरोना के कारण कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगा है तो कोहरा भी उस पर अपनी मोहर ठोंकने के लिए आ पहुंचा है। ऐसे में गणतंत्र दिवस पूछने आ गया कि हाउज द जोश?
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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।
ईमेल: narvijayindia@gmail.com