ख्वाजा साहब के 811वें उर्स में पेश किया गया बसंत
अजमेर, 28 जनवरी (राजस्थान में अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स के दौरान आज गरीब नवाज की बारगाह पर परंपरागत तरीके से बसंत पेश किया गया।
अजमेर, 28 जनवरी )। राजस्थान में अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती
के 811वें सालाना उर्स के दौरान आज गरीब नवाज की बारगाह पर परंपरागत तरीके से बसंत पेश
किया गया।
अजमेर स्थित दरगाह के मुख्य निजामगेट से बसंती फूलों का गुलदस्ता लिए शाही कव्वाल से जुड़े
कव्वाल गरीब नवाज को प्रिय अमीर खुसरो एवं नियाजी की बसंती कव्वाली गाते हुए चल रहे थे।
दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के उत्तराधिकारी उनके पुत्र सैयद नसीरुद्दीन की सदारत में दरगाह के
मुख्य द्वार से जुलूस अंदर आस्ताना शरीफ में गया और बड़े ही अदब और इतमीनान के साथ गरीब
नवाज की बारगाह में बसंत पेश किए गए।
इस दौरान बसंत मना ले सुहागिन...ख्वाजा मोइनुद्दीन के दर आ जाती है बसंत...जैसे गीत ऊंचे स्वर
में गा रहे थे। उर्स के खास मौके पर पेश किए गए बसंत के दौरान बड़ी संख्या में खुद्दाम-ए-ख्वाजा,
जायरीनों आदि ने हिस्सा लिया। केसरिया पीले फूलों का गुलदस्ता और बसंत से जुड़ी कव्वालियां
सभी को बर्बस अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
ख्वाजा के दर पर पेश हुआ बसंत कौमी एकता,
उमंग व सौहार्द की प्रतीक बन गई।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा गरीब नवाज को बसंती फूलों से बेहद लगाव रहा था। यही कारण है कि हर
साल बसंत पंचमी के मौके पर गरीब नवाज के दर पर बसंती फूलों के गुलदस्ते को पेश किए जाने
की परंपरा है।
रविवार को दौराने उर्स छठी का कुल होगा और कुल में शिरकत करने के लिए हजारों हजार जायरीन
आज रात तक अजमेर पहुंच जाएंगे।
आज ही आखिरी शाही महफिल भी होगी। अजमेर शरीफ में
गरीब नवाज का उर्स पूरे परवान पर है।