गुलावठी को तहसील बनाने की मांग को लेकर गुरुवार को छठे दिन भी धरने पर डटे रहे किसान
बुलंदशहर : गुलावठी को तहसील बनाने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन (संपूर्ण भारत) का धरना छठे दिन भी जारी रहा
बुलंदशहर : गुलावठी को तहसील बनाने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन (संपूर्ण भारत) का धरना छठे दिन भी जारी रहा। कड़ाके की सर्दी में भी धरने पर लोगों के हौसले घट नहीं रहे हैं। आसपास क्षेत्र के लोगों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है। क्षेत्र के लोगो द्वारा मिल रहे समर्थन से ऐसा लगता है कि आने वाले समय में धरना प्रदर्शन एक विशाल रूप ले लेगा।
गुरुवार को अलग अंदाज में मातृशक्ति द्वारा धरने का संचालन किया गया। गुरुवार के धरने का नेतृत्व भाकियू सम्पूर्ण भारत की महिला जिलाध्यक्ष मीनू चौधरी के नेतृत्व में किया गया। धरने में भारी संख्या में मातृशक्ति छोटे-छोटे बच्चों के साथ उपस्थित रहे। मातृशक्ति का कहना है गांव-गांव जाकर महिलाओ व पुरषो को आंदोलन के प्रति प्रेरित करेगे बहुत जल्द महिलाएं और बच्चे भी इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे। धरने को ज्यादा दिन तक चलने के लिए भाकियू द्वारा अब डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है।
संगठन के पदाधिकारी चेतना यात्रा के साथ गांव-गांव जाकर हस्ताक्षर अभियान चल रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढुनी) गुट ने गुलावठी को तहसील का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पवन तेवतिया को अपना समर्थन दिया है। भाकियू (चंडूनी) के जिलाध्यक्ष सुबह सिंह डागर द्वारा खुर्जा किसान महापंचायत में समर्थन की घोषणा की है। इससे पहले भी कई संगठनों द्वारा पवन तेवतिया को समर्थन मिलता रहा है। जिसमें राष्ट्रीय स्तर के बड़े संगठन का समर्थन मिलने से आंदोलन ने बड़ा रुख ले लिया है। वहीँ भाकियू सम्पूर्ण भारत के प्रदेश अध्यक्ष चौ0 पवन तेवतिया का आरोप है कि सपा और बसपा की सरकार थी तो सत्ता पक्ष के नेता
जोकी जब विपक्ष में थे तो तहसील की मांग कर रहे थे। लेकिन आज उनकी खुद की सरकार बनने के बाद धरने स्थल पहुंचने में परहेज कर रहे हैं। जिलाध्यक्ष गुड्डू पंडित ने बताया कि यह लड़ाई लंबी चलेगी जिसकी योजना बनाते हुए अलग-अलग लोगों का नेतृत्व में जिम्मेदारियां बाटी गई है। संगठन के प्रदेश प्रचारक बजरंगी भटोना ने साइकिल पर संगठन का झंडा बांधकर चेतना यात्रा को गांव-गांव ले जाने का प्रण लिया है। किसानों का कहना है कि गुलावठी को तहसील बनने से किसान का जो समय बुलंदशहर आने जाने में लगता है वह समय उनके खेत में लगने से फसल पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। अभी खसरा खतौनी के लिए भी दो-दो
दिन तक बुलंदशहर तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं जिससे उनका मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न भी हो रहा है। धरने में मुख्य रूप से मीनू, शांति, जीत पाली गज्जू, अनीता, उर्मिला, रेनू , जगदीश सुनीता, दिशा, शालू, आयुषी, विचार, दामिनी, मुकेश, अनीता, सुमन, पूजा, विधि, मनोज, किरण, गीता आदि सहित भारी संख्या में मातृशक्ति व किसान मौजूद रहे।