48वां श्रीमद्भागवत जयंती
48वां श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।
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समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है श्रीमद्भागवत
वृन्दावन।रुक्मिणी विहार रोड़ (निकट केशव धाम) स्थित भागवत पीठ आश्रम में सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) के द्वारा ब्रज विभूति परिव्राजकाचार्य स्वामी ब्रजरमणाचार्य महाराज व विद्वत शिरोमणि भागवत भूषण आचार्य पीठाधिपति स्वामी किशोरीरमणाचार्य महाराज की पावन स्मृति में सप्त दिवसीय 48वां श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसके अंतर्गत श्रीमद्भागवत मूल पारायण, तुलसी सहस्त्रार्चन आदि के अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं।
आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर भागवत प्रभाकर मारुति नंदनाचार्य "वागीश" महाराज ने कहा कि कलयुग में श्रीमद्भागवत भूत के शोक, वर्तमान के मोह और भविष्य के भय को मिटाती है। श्रीमद्भागवत ग्रंथ समस्त पुराणों का तिलक है और वैष्णव भक्तों की संपत्ति है। 125 वर्ष की लीला संपन्न कर धर्म की स्थापना करते हुए भगवान श्रीकृष्ण जब गोलोक धाम को गए, तब उद्धव के पूछने पर कि कलयुग में किस उपाय के द्वारा पाप और ताप का शमन करते हुए आपको प्राप्त किया जा सकता है, वह साधन क्या है। तब श्रीकृष्ण ने कहा उद्धव मैं स्वयं ही श्रीमद्भागवत महापुराण के रूप में अवतार ले रहा हूं। भागवत मेरा वांगमय विग्रह होगा।जो मनुष्य भागवत की शरण में आएंगे उनके समस्त ताप मिटेंगे और ज्ञान, भक्ति और वैराग्य उदय होगा और मुझे सहज प्राप्त कर लेंगे। श्रीमद्भागवत केवल मुक्ति और भक्ति ही नहीं समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है।
महोत्सव के व्यवस्थापक युवराज श्रीधराचार्य महाराज ने बताया है कि जयंती महोत्सव में श्रीमद्भागवत मूल पारायण, तुलसी सहस्त्रार्चन, आदि कार्यक्रमों के साथ विशेष रूप से 17 सितंबर (अनंत चतुर्दशी) को अपराह्न 4:30 बजे से विराट संत-विद्वत सम्मेलन, वैष्णवाराधन, प्रतियोगी विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरण, विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट प्रतिभाओं का सम्मान अभिनंदन एवं संत समागम आदि के आयोजन होंगे।जिसमें कई प्रख्यात संत, विद्वान एवं धर्माचार्य आदि भाग लेंगे।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. रामदत्त शास्त्री, आचार्य राम शास्त्री, डॉ. आनंद त्रिपाठी, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।