सनातन हिंदू संस्कृति सम्मेलन ललिता आश्रम वृंदावन में संपन्न

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित ललिता आश्रम में सनातन हिन्दू संस्कृति सम्मेलन संपन्न हुआ।जिसमें कई प्रख्यात संतों, भागवताचार्य, धर्माचार्यों एवं हिंदूवादी संगठनों ने भाग लिया।

सनातन हिंदू संस्कृति सम्मेलन ललिता आश्रम वृंदावन में संपन्न

सनातन हिंदू संस्कृति सम्मेलन ललिता आश्रम वृंदावन में संपन्न

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित ललिता आश्रम में सनातन हिन्दू संस्कृति सम्मेलन संपन्न हुआ।जिसमें कई प्रख्यात संतों, भागवताचार्य, धर्माचार्यों एवं हिंदूवादी संगठनों ने भाग लिया।सम्मेलन में सभी संगठनों ने एक मत होकर हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार पर रोष प्रकट करते हुए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की तथा मुस्लिम वक्फ बोर्ड को समाप्त कर जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग की।


सम्मेलन में विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि हमें हिंदू हृदय सम्राट नहीं सर्वप्रथम सनातनी हिंदू बनना है।हम सभी का एक ही उद्देश्य होना चाहिए, कि जो भी व्यक्ति सनातन धर्म को अपमानित करने का प्रयास करता है,चाहे वो राजनेता हो, अभिनेता हो, व्यवसायी हो।हम सभी सनातन धर्मावलंबी एक जुट होकर उन सभी का पूर्ण बहिष्कार करें।
श्रीकृष्ण जन्म भूमि संघर्ष न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा एवं पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ ने कहा कि आम सनातनी हिंदू एकजुट है, लेकिन बड़े मठाधीश अपनी सुविधा अनुसार व्याख्या करने में लगे हैं।सनातन धर्म के नाम पर केवल व्यवसाय करना ही वर्तमान समय में हिंदुत्व के लिए सबसे बड़ी समस्या है।


ब्रजवासी जगद्गुरु कृष्ण कन्हैया पदरेणु एवं धर्म रत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने कहा कि दिनेश शर्मा समस्त हिंदुओं को जागृत कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि की लड़ाई लड़ रहे हैं।हमें उनके साथ देकर न्यायालय में मजबूत पक्ष रखना होगा। बगैर सनातनी हिंदुओं के कोई भी सरकार नहीं चल सकती। सरकार को हमें समय-समय पर सनातन धर्म के प्रति जागृत करना होगा।
आचार्य रामनिहोर त्रिपाठी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि हिंदू सनातन संस्कृति में समस्त शंकराचार्यों का स्थान सर्वोच्च है। सरकार से लेकर धर्म गुरुओं को उनके बताए आदेशों का पालन करना चाहिए।जिससे देश व समाज वैदिक रीति रिवाजों का पालन करे।


महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानन्द महाराज एवं महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज (अधिकारी गुरुजी) ने कहा कि धर्म की स्थापना में विप्रों का बड़ा योगदान है। उनकी उपेक्षा कर अखंड हिंदुत्व को साकार नहीं किया जा सकता।


सम्मेलन में भक्तिवेदांत मधुसूदन महाराज, आचार्य रमाकांत गोस्वामी, स्वामी भानुदेवाचार्य महाराज, पंडित जुगेंद्र भारद्वाज, आचार्य करुणा शंकर, आचार्य वल्लभ महाराज, ब्रजाचार्य बाबा कर्मयोगी महाराज, सदानंद महाराज, अश्वनी शर्मा, ज्ञान आचार्य महाराज, जयराम शर्मा, हरिदास बाबा, कपिल चतुर्वेदी, जमुना देवी शर्मा, राजेश पाठक, ठाकुर नरेश सिंह, गुंजन शर्मा, राजेश कृष्ण शास्त्री, राहुल गौतम, आकाश शास्त्री, मोनिका भटनागर, संजय हरियाणा, राहुल द्विवेदी, सरोज गोला, विष्णुकांत भारद्वाज ब्रजवासी भैया, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य श्याम सुंदर चतुर्वेदी, श्रीमती मधु शर्मा, पण्डित बालकृष्ण शर्मा उर्फ बालो पंडित, आचार्य ईश्वर चंद्र रावत, लक्ष्मीकांत कौशिक आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन कृष्ण कन्हैया पदरेणु ने किया।