महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं

लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहारमें छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।

महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं

महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं

पटना,  लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहारमें छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। महापर्व छठ को लेकरबिहार में चहल-पहल दिखने लगी है। लोग छठ पर्व के अनुष्ठान की तैयारी में जुट चुके हैं। सभीजगह छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल छठमय नजर आ रहा है। राजधानी छठीमाई के गीतों से सुवासित और गुलजार हो उठा है। शहर के मठ-मंदिरों में भी छठी माई के गीतों सेसुबह की शुरुआत हो गयी है।

कहीं शारदा सिन्हा की आवाज रस बरसा रही है कि मोर जिया जाएलामहंगा मुंगेर तो कहीं देवी के सुर कानों में पर्व की महिमा बखान कर रही है किकांच ही बांस केबहंगिया, बहंगी लचकत जाएकेलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय, आदित लिहो मोर अरगिया., दरस देखाव एदीनानाथ., उगी है सुरुजदेव., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार.,काच ही बास के बहंगिया बहंगी
लचकत जाय., आदि छठ गीतों काधमाल है। भक्ति गीतों से लोग भक्ति रस की गंगा में डुबकीलगाने लगे हैं। गीतों में आधुनिकता अवश्य आ गई है, लेकिन इन गीतों की लोकप्रियता में तनिकभी कमी नहीं आई है। लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर कानों में माटी की सोंधी खुशबू में लिपटे गीत बजने शुरू हो गये हैं।

;मरबो रे सुगवा धनुषसे, सुग्गा गिरे मुरुझाए; से लेकर ;दरसन दीन्ही अपार हे छठ मइया दरसन दीन्ही अपार;। छठ गीतों
के बिना मानो पर्व में रंग ही नहीं आता है।चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर छोटे से बड़ा हर व्यक्ति काम में व्यस्त है। प्रत्येक घर के हरसदस्य के पास कोई न कोई जिम्मेदारी है।परिवार के सबसे छोटे सदस्य को ऑनलाइन माध्यम सेधीमी आवाज में छठ गीत बजाने का जिम्मा दिया गया है। जिन घरों में छठ पर्व का आयोजन कियागया उन घरों से तो गीतों की आवाज आ ही रही है इसके अलावा जिस रास्ते से गुजरें आपकोविभिन्न लोक गायकों की आवाज से सजे ऐसे गीत सुनने को मिल जाएंगे। इन गानों का संयोजन
और संकलन छठ महापर्व के लिए ही किया जाता है।

छठ गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लय में गाए जाते हैं । ;छठ पूजा; केलोकगीतों की चर्चा होते ही सबसे पहले पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का नाम जेहन मेंआता है। ऐसे कई गीत हैं, जिन्हें शारदा सिन्हा ने अपनी अपनी मधुर आवाज देकर अमर कर दियाहै। लोकगीतों केरत है। सूर्य की उपासना का पावन पर्व ;छठ अपने धार्मिक, पारंपरिक और लोक
महत्व के साथ ही लोकगीतों की वजह से भी जाना जाता है। घाटों पर;छठी मैया की जय, जल्दीजल्दी उगी हे सूरज देव.. कईली बरतिया तोहार हे छठी मैया.;दर्शन दीहीं हे आदित देव.;कौनदिन उगी छई हे दीनानाथ..;जैसे गीत सुनाई पड़ते हैं। मंगल गीतों की ध्वनि से वातावरण श्रद्धा औरभक्ति से गुंजायमान हो उठता है।

इन गीतों की पारम्परिक धुन इतनी मधुर है कि जिसे भोजपुरीबोली समझ में न भी आती हो तो भी गीत सुंदर लगता है। यही कारण है कि इस पारम्परिक धुनका इस्तेमाल सैकड़ों गीतों में हुआ है।