जुगल बिहारी मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया गया अन्नकूट महोत्सव
वृन्दावन।जुगल घाट/परिक्रमा मार्ग स्थित जुगल बिहारी मंदिर में कार्तिक मास के पावन अवसर पर अन्नकूट महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।
जुगल बिहारी मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया गया अन्नकूट महोत्सव
वृन्दावन।जुगल घाट/परिक्रमा मार्ग स्थित जुगल बिहारी मंदिर में कार्तिक मास के पावन अवसर पर अन्नकूट महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।जिसके अंतर्गत ठाकुर श्रीजुगल बिहारी लाल महाराज का दिव्य व मनोहारी श्रृंगार किया गया।साथ ही उनके समक्ष छप्पन भोग निवेदित किए गए।इसके अलावा सुमधुर भजन संध्या का आयोजन संपन्न हुआ।जिसमें प्रख्यात भजन गायक विष्णु बावरा ने अपनी मधुर वाणी के द्वारा श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओतप्रोत भजनों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया।
जुगल बिहारी मंदिर के अधिष्ठाता पण्डित महेश भारद्वाज एवं ब्राह्मण महासभा के संरक्षक पण्डित सुरेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि ब्रज चौरासी कोस में अन्नकूट महोत्सव आयोजित करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने प्रारंभ किया था। जिसका निर्वाह समस्त ब्रजवासी भक्तगण बड़े ही श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ करते हैं।वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं तीर्थ पुरोहित पंडा सभा के अध्यक्ष श्याम सुंदर गौतम ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन महाराज साक्षात भगवान श्रीकृष्ण के ही प्रतिरूप हैं।उनमें और श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं है।वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति के संरक्षण करने के लिए ही गिरिराज पूजा की लीला की थी।जिससे कि लोग प्रकृति के महत्व को जानें और उसकी उपयोगिता का सही से पालन करें।
पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री एवं प्रमुख समाजसेवी सुभाष गौड़ (लाला पहलवान) ने कहा कि ब्रज की पावन भूमि पर त्रिदेव पर्वत रूप में विद्यमान हैं। जो कि बरसाना में ब्रह्मगिरि (ब्रह्मदेव), नंदगांव में नंदीश्वर पर्वत (महादेव) एवं गोवर्धन में गिरिराज पर्वत (भगवान विष्णु) के स्वरूप हैं।इनकी पूजा व परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।इसीलिए गिरिराज गोवर्धन ब्रजवासियों के इष्टदेव हैं।
इस अवसर पर डॉ. राधाकांत शर्मा, गोपाल शरण शर्मा, अजय शर्मा, धर्मेंद्र गौतम लीला, पंकज शर्मा, हिमांशु शर्मा (मोनू), विनायक भारद्वाज, मयंक भारद्वाज, विवेक गौतम, शंभू शास्त्री आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।जिसमें सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।