पूर्णावतार हैं षोडस कलायुक्त भगवान श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन उपलक्ष्य में चल रहा ग्यारह दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ
पूर्णावतार हैं षोडस कलायुक्त भगवान श्रीकृष्ण : महन्त आचार्य रामदेव चतुर्वेदी
वृन्दावन।बांके बिहारी कॉलोनी स्थित ठा. श्रीकौशल किशोर राम मन्दिर में अखिल भारतीय श्रीराम मित्र मंडल के द्वारा श्रावण मास व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन उपलक्ष्य में चल रहा ग्यारह दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।महोत्सव का समापन जन्माष्टमी महोत्सव मनाकर किया गया।जिसके अंतर्गत सरस भजन संध्या, बधाई गायन, महंतों का सम्मान व संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के कार्यक्रम भी संपन्न हुए।
इस अवसर पर महंत आचार्य रामदेव चतुर्वेदी महाराज ने कहा कि द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र कंस के अत्याचारों से त्रस्त भक्तजनों की पुकार पर सप्तपुरियों में श्रेष्ठ मधुपुरी अर्थात मथुरा की दिव्य भूमि पर जन्म लेने वाले षोडस कलायुक्त भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है।वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पूजित दशावतारों में आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ही एकमात्र ऐसे अवतार हैं जिनका जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विश्व के प्रत्येक कोने में हिन्दू धर्मावलंबी अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
महोत्सव के संयोजक आचार्य लवदेव चतुर्वेदी एवं
आचार्य कुशदेव चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतरण जन कल्याण के लिए हुआ था। उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य पृथ्वी पर हो रहे अत्याचारों को मिटाना था। उन्होंने अपने युग को नवसृजन की दिशा में मोड़ा। जो कि उनकी भारतीय वैदिक संस्कृति को अनुपम देन है।
महोत्सव में महामंडलेश्वर स्वामी भक्तानंद हरि साक्षी महाराज, महंत संतदास महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, महंत संतोष पुजारी, महंत रमणरेती दास महाराज, महंत प्रिया शरण महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज, संत सेवानंद ब्रह्मचारी, स्वामी गंगानन्द महाराज (कोतवाल), महन्त शिवदत्त प्रपन्नाचार्य, महंत अभयप्रपन्नाचार्य महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा, संजय चतुर्वेदी, श्रीमती कुंजलता चतुर्वेदी, श्रीमती प्रिया चतुर्वेदी, गौरव जिंदल, रचित जिंदल, श्रीमती राज जिंदल (दिल्ली), ब्रजेंद्र मथुरान सतनाली (हरियाणा), अरविंद चतुर्वेदी, विश्वनाथ चतुर्वेदी (मथुरा),संगीताचार्य शंभू शरण महाराज, सूर्यांश देव चतुर्वेदी एवं शिवांश देव चतुर्वेदी आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।