वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 विजेन्द्र सिंह आर्य की श्रद्धांजलि सभा हुई संपन्न
ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता ) यहां पर वरिष्ठ साहित्यकार लेखक प्रो0विजेन्द्र सिंह आर्य की श्रद्धांजलि सभा संपन्न हुई। इस अवसर पर यज्ञ हवन का आयोजन किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 विजेन्द्र सिंह आर्य की श्रद्धांजलि सभा हुई संपन्न
ग्रेटर नोएडा यहां पर वरिष्ठ साहित्यकार लेखक प्रो0विजेन्द्र सिंह आर्य की श्रद्धांजलि सभा संपन्न हुई। इस अवसर पर यज्ञ हवन का आयोजन किया गया। उसके पश्चात श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि श्री आर्य बहुत ही निर्मल हृदय के व्यक्तित्व थे। उनके जाने से समाज को अपूर्णनीय क्षति हुई है।
श्री आर्य विषय की गहराई को छूते हुए लिखते थे और गहराई के साथ ही अपने आप को समन्वित कर सभा को संबोधित करते थे। वह आर्य परिवार की रीढ़ थे। जिन्होंने अपने अनुजों को भी सवारने का काम किया। उन्होंने ऋषि दयानंद के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए वैदिक सिद्धांतों को प्रचारित प्रसारित करने का कार्य अपने साहित्य के माध्यम से किया।
श्री आर्य के बारे में जानकारी देते हुए उनके अनुज देवेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि लगभग आधा दर्जन पुस्तकों के लेखक श्री आर्य कविता के क्षेत्र में अपनी युवावस्था से ही उतर गए थे। अनेक विषयों पर उन्होंने अनेक काव्य रचनाओं का सृजन किया। ईश्वर भक्ति, राष्ट्र भक्ति, देश व समाज के क्रांतिकारियों पर विभिन्न प्रकार के गीतों को वह लिखते रहे । सहज और सरल हृदय के धनी श्री आर्य की लेखनी भी उतनी ही सरल और सरस थी। जो कि पाठक के हृदय पर सीधा और स्थाई प्रभाव डालती है। उनकी लेखन शैली की बानगी कुछ इस प्रकार है:-
युवाओं में ताकत तो होती है, मगर तजुर्बा नहीं होता।
जब तक सोना तपता नहीं, कुन्दन नहीं होता। ।
पूजा अथवा कोई पुण्य का कार्य करने की उर्मियाँ यदि मन में हिलोरें मारने लगे, तो उन्हें प्रभु की प्रेरणा समझो :-
हरि-नाम की उर्मियाँ, चित में मारें हिलोर ।
प्रेरक को ये प्रेरणा, चली प्रभु की ओर ॥
'विशेष शेर' अनन्त कामनाओं के संदर्भ में:-
खूब तरसाया है तेरी ख्वाइशों ने ही तुझे ।
अब तू भी इन ख्वाहिशों को तरसती छोड़ दे ॥
इस अवसर पर अखिल भारतीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा नंदकिशोर मिश्र, आर्य जगत के सुप्रसिद्ध भजन उपदेशक कुलदीप विद्यार्थी, स्वामी ओमानंद जी महाराज, स्वामी प्राण देव जी महाराज, देव मुनि जी महाराज, आचार्य वेद प्रकाश, सरपंच रामेश्वर सिंह, रईस राम भाटी, कमलेश देवी , ऋषिपाल भाटी एडवोकेट, परमिंदर भाटी एडवोकेट, पूर्व न्यायाधीश जेएस त्यागी, आर्य सागर, मेजर वीर सिंह आर्य सहित अनेक लोगों ने अपनी पुष्पांजलि श्रद्धांजलि शब्दांजलि के रूप में अर्पित की।
सभी वक्ताओं ने स्वर्गीय श्री आर्य की वक्तृत्व शैली और उनकी कविताओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि जब वह बोलते थे तो समा बंध जाता था। उनकी कमी हमको हमेशा अखरती रहेगी। श्री आर्य वैदिक आध्यात्मिक धारा के कवि थे। जिन्होंने ईश्वर, वेद विषय और राष्ट्र की युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए उत्कृष्ट साहित्य की रचना की। मैं से मैं की बात लिखकर उन्होंने अपने आप से ही इस उत्कृष्ट शैली में वार्ता की है जिसे सुन पढ़ कर कई प्रकार की भ्रांतियों का समाधान हो जाता है।
इस अवसर पर डॉ राकेश कुमार आर्य ने देश और विदेश से प्राप्त हुई श्रृद्धाजंलियों को पढ़कर सुनाया। जिनमें भारत के विभिन्न प्रांतो के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया से डॉ मृदुल कीर्ति, मॉरीशस से डॉ गंगू जी, केन्या , नेपाल और बर्मा से भी शोक संदेश प्राप्त हुए।