ठा. प्रिया वल्लभ कुंज में धूमधाम से मनाया गया गिरिराज पूजा एवं प्रियालाल का व्याहुला महोत्सव
वृन्दावन। छीपी गली स्थित ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा के उपलक्ष्य में श्रीहित उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में गोवर्धन पूजा एवं प्रियालाल जू का व्याहुला उत्सव मन्दिर के सेवायत आचार्य विष्णुमोहन नागार्च के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया
ठा. प्रिया वल्लभ कुंज में धूमधाम से मनाया गया गिरिराज पूजा एवं प्रियालाल का व्याहुला महोत्सव
वृन्दावन। छीपी गली स्थित ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा के उपलक्ष्य में श्रीहित उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में गोवर्धन पूजा एवं प्रियालाल जू का व्याहुला उत्सव मन्दिर के सेवायत आचार्य विष्णुमोहन नागार्च के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।
इस महोत्सव के अंतर्गत मन्दिर के अंगसेवी रसिक वल्लभ नागार्च ने श्रीविजय राधावल्लभ लाल जू व श्रीप्रियावल्लभ लाल जू का अद्भुत श्रृंगार किया गया।साथ ही उन्हें अनेक प्रकार के मिष्ठान-मेवा, व्यंजन-फल आदि 56 प्रकार के भोग निवेदित किए गए। इसके अलावा श्रीराधावल्लभीय समाज मुखिया ललित शर्मा की मुखियायी में श्रीराधा वल्लभीय संप्रदाय की नाद शाखा के प्रमुख स्तम्भ एवं 18 वीं सदी के रस सिद्ध गृहस्थ संत और वाणीकार श्रीहित परमानंद महाराज की रचना "रस विवाह भोजन" के पदों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।
श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक आचार्य विष्णुमोहन नागार्च एवं संस्थापक अध्यक्ष श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि ब्रज में दीपावली से भी अधिक महत्ता गोवर्धन पूजा व अन्नकूट की है। क्योंकि इस पूजा को द्वापर युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने प्रारम्भ किया था।जिसे सभी ब्रजवासी बड़े ही चाव से दीपावली के कई दिनों बाद तक अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
ट्रस्ट के समन्वयक डॉ गोपाल चतुर्वेदी एवं आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन स्वयं भगवान नारायण के अवतार हैं। जो कि सात कोस में विशाल पर्वत रूप में ब्रज में विद्यमान हैं।इनकी पूजा करने व सप्तकोसी परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं।साथ ही गिरिराज गोवर्धन उनकी सभी मानोकामना पूर्ण करते हैं।
परम् हितधर्मी डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा एवं तरुण मिश्रा ने कहा कि प्रियावल्लभ कुंज में अन्नकूट महोत्सव मनाए जाने की परम्परा अतिप्राचीन है।यहां इस महोत्सव अंतर्गत ठाकुरजी के समक्ष अन्नकूट के पदों व भजनों का गायन किया जाता है।साथ ही गिरिराज पूजा की झांकियों के दर्शन भी कराए जाते हैं।
महोत्सव में प्रमुख समाजसेवी रासबिहारी मिश्रा, जुगल किशोर शर्मा, भरत शर्मा, चंद्रमोहन नागार्च, डॉ. राधाकांत शर्मा, श्रीमति भारती विनीत सोनी, श्रीमति यशोधरा जोशी (भोपाल), श्रीमति रमा गुप्ता (झांसी), मुरारी लाल गौड़ (रायपुर), श्रीमति शशि चौरसिया (केवलारी), श्रीमति आभा-महेंद्र राणा (सावंगी वारासिवनी), श्रीमति गोपी जितेंद्र गुप्ता (ग्वालियर), हित प्रिय पलारी, हितानन्द नागार्च, रसानन्द नागार्च आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।
महोत्सव में पधारे सभी आगंतुक अतिथियों का ट्रस्ट के संरक्षक आचार्य विष्णु मोहन नागार्च ने पटुका ओढ़ाकर एवं ठाकुरजी का प्रसाद भेंट कर स्वागत किया।