दिल्ली आबकारी नीति : थोक विक्रेताओं को शराब की जांच के लिए एक लैब की मिल सकती है अनुमति
नई दिल्ली, 12 मई)। दिल्ली सरकार अपनी आबकारी नीति 2022-23 में शराब के नमूनों की जांच के लिए थोक विक्रेताओं के गोदामों में प्रयोगशाला स्थापित करने के नियमों में ढील दे सकती है।
नई दिल्ली, 12 मई दिल्ली सरकार अपनी आबकारी नीति 2022-23 में शराब के नमूनों की जांच के
लिए थोक विक्रेताओं के गोदामों में प्रयोगशाला स्थापित करने के नियमों में ढील दे सकती है।
अधिकारियों ने यह
जानकारी दी। उ
न्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए सरकार द्वारा तैयार की जा रही आबकारी नीति में थोक
लाइसेंसधारी (एल-1) को उसके स्वामित्व वाले प्रत्येक गोदाम में एक प्रयोगशाला के बजाय सिर्फ एक प्रयोगशाला
स्थापित करने की अनुमति दी जा सकती है।
एक आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है कि यह कदम थोक लाइसेंसधारियों द्वारा आबकारी विभाग के समक्ष यह
ज्ञापन दिए जाने के बाद आया है कि प्रत्येक गोदाम में प्रयोगशाला स्थापित करना महंगा कार्य है।
थोक विक्रेताओं
ने आबकारी विभाग से कहा कि बीआईएस मानकों के अनुसार पूरी तरह से सुसज्जित प्रयोगशाला स्थापित करने पर
करीब 20-30 लाख रुपये का खर्च आता है
जिसमें कर्मचारियों के वेतन और परीक्षण सामग्री पर होने वाला व्यय
शामिल है।
दस्तावेज में कहा गया है कि एल-1 लाइसेंस गैर-नवीकरणीय होता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि
उसी इकाई को अगले पॉलिसी वर्ष में एल-1 लाइसेंस दिया जाएगा।
आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव की
सिफारिश करने के लिए पिछले महीने मंत्रियों के समूह की एक बैठक के दौरान इस मुद्दे पर विचार किया गया
था। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद आबकारी नीति 2022-23 के लिए मंत्रियों के समूह की सिफारिशों को एक जून
से लागू किया जाएगा।