दूल्हा बने भगवान महाकाल

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर महाशिवरात्रि के दूसरे दिन दूल्हा रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं।

दूल्हा बने भगवान महाकाल

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर महाशिवरात्रि के दूसरे दिन
दूल्हा रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। शनिवार तड़के 04 बजे भगवान महाकाल का सवा मन फूलों
और सप्त धान का सेहरा सजाकर उन्हें दूल्हे के रूप में शृंगारित किया गया है।


इससे पहले भगवान महाकाल को सप्त धान का मुखौटा, स्वर्ण त्रिकुंड, कुंडल, चांदी का छत्र और नए
वस्त्र धारण कराए गए। सुबह 6 बजे सेहरा आरती हुई। इस दौरान करीब सवा लाख बिल्व पत्र भी अर्पित
किए। वहीं बाबा महाकाल की भस्म आरती साल में एक बार दोपहर 12 बजे हुई।


महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि शनिवार तड़के बाबा महाकाल का भस्म
लेपन, विभिन्न प्रकार के पांच फलों के रसों से अभिषेक, पंचामृत (101 लीटर दूध, 31 किलो दही, 21
किलो खांडसारी, 21 लीटर शहद, 15 किलो घी), गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि के साथ केसर मिश्रित
दूध से अभिषेक किया गया।

अभिषेक उपरांत भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराये जाकर सप्तधान्य का
मुखारविंद धारण कराया गया। इसके बाद सप्तधान्य अर्पित किया गया, जिसमें चावल, खड़ा मूग, तिल,
मसूर, गेहू, जव, साल, खड़ा उडद सम्मिलित रहे।

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान
महाकाल का शृंगार कर पुष्प मुकुट (सेहरा) बांधा गया। इसके बाद भगवान महाकाल को चंद्र मुकुट, छत्र,
त्रिपुंड व अन्य आभूषणों से शृंगारित कर नेग स्वरूप चांदी का सिक्का व बिल्वपत्र अर्पित किया गया।
इसके बाद बाबा महाकाल की सेहरा आरती की गई व भगवान को विभिन्न मिष्ठान्न, फल, पञ्च मेवा
आदि का भोग अर्पित किए गए।


उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह 11 बजे भगवान महाकाल का सेहरा उतारा गया। तत्पश्चात दोपहर 12
बजे पंडे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का
जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से कर पूजन-अर्चन किया। कपूर आरती
के बाद बाबा महाकाल को रजत का मुकुट, रुद्राक्ष व पुष्पों की माला धारण करवाई गई। भस्म आरती में
बाबा महाकाल का आलौकिक शृंगार किया गया।

इसके बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से
ढांक कर भस्मी रमाई गई। भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस

दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को
भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया।
इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।


गौरतलब है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन भस्म आरती तड़के 04 बजे की जाती है, लेकिन वर्ष
में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के अगले दिन ऐसा होता है

कि बाबा महाकाल की भस्म आरती सुबह 04
बजे नहीं, बल्कि दोपहर 12 बजे होती है। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि
सेहरा दर्शन के बाद भगवान के आभूषण, मुखारविन्द, वस्त्र बाहर निकालने के बाद दोपहर 12 बजे से
भस्म आरती शुरू हुई। इसके बाद भगवान की भोग आरती की गई।