भगवान महाकालेश्वर के आंगन में 10 से 18 फरवरी तक मनाई जाएगी शिवनवरात्रि

उज्जैन, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में हर साल की तरह इस वर्ष भी फाल्गुन कृष्ण पंचमी यानी 10 से 18 फरवरी तक शिवनवरात्रि पर्व मनाया जाएगा।

भगवान महाकालेश्वर के आंगन में 10 से 18 फरवरी तक मनाई जाएगी शिवनवरात्रि

उज्जैन, ( विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में हर
साल की तरह इस वर्ष भी फाल्गुन कृष्ण पंचमी यानी 10 से 18 फरवरी तक शिवनवरात्रि पर्व मनाया


जाएगा। इसकी शुरुआत 10 फरवरी होगी और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर इसका समापन होगा।
इस दौरान भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे और नौ दिन नवशृंगार में भक्तों का मन मोहेंगे।

शिवनवरात्रि और महाशिवरात्रि को लेकर मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। रविवार को मंदिर
प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर साफ सफाई, रंगरोगन


तथा श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर किए जाने वाले इंतजामों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि
ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की पूजन परंपरा के अनुसार 10 फरवरी को शिवनवरात्रि के पहले दिन


शिवपंचमी का पूजन होगा। सर्वप्रथम कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-
अर्चना कर हल्दी चढ़ाई जाएगी। इसके उपरांत गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी। तत्पश्चात्


पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा
रुद्रपाठ किया जाएगा।

दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। दोपहर तीन बजे संध्या पूजा के बाद
भगवान का विशेष शृंगार किया जाएगा।

नौ दिन तक पूजन का यही क्रम रहेगा।
नौ दिन इन रूपों में होंगे दर्शन


पहला दिन : भगवान महाकाल का चंदन शृंगार होगा। पश्चात सोला एवं दुपट्टा धारण कराया
जाएगा। मुकुट, मुंडमाला, छत्र आदि आभूषण पहनाए जाएंगे।


दूसरा दिन : शेषनाग शृंगार होगा।


तीसरा दिन : घटाटोप शृंगार होगा।


चौथा दिन : छबीना शृंगार होगा।


पांचवां दिन : होलकर रूप में शृंगार होगा।


छठा दिन : मन महेश रूप में शृंगार होगा।


सातवां दिन : उमा महेश रूप में शृंगार होगा।


आठवां दिन : शिव तांडव रूप में शृंगार होगा।


महाशिवरात्रि : सप्तधान रूप में शृंगार कर शीश पर फूल व फलों से बना मुकुट सजाया जाएगा।


आरती-पूजन का समय बदलेगा
महाकाल मंदिर में प्रतिदन सुबह 10 बजे भोग आरती व शाम को पांच बने संध्या पूजा होती है।


शिवनवरात्रि के नौ दिन पूजन का विशेष क्रम होने से भोग आरती दोपहर एक बजे तथा संध्या पूजा
दोपहर तीन बजे होगी।

महाशिवरात्रि पर 18 फरवरी को मंदिर प्रबंध समिति ने 250 रुपये की शीघ्र

दर्शन व्यवस्था बंद रखने का निर्णय लिया है। स्थानीय के साथ ही देश-विदेश से आने वाले भक्तों
को केवल समान्य दर्शन कराए जाएंगे।

चारधाम मंदिर से त्रिवेणी संग्रहालय के रास्ते श्री महाकाल
महालोक होते हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।