सरकार का कार्यकाल 2024 तक तो मुख्यमंत्री जी की 2026 के युवा को कैसी गारंटी:-दमनप्रीत
सेना में 4 वर्षीय भर्ती की अग्निपथ योजना को युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली करार देते हुए एडवोकेट व युवा इनैलो नेता दमनप्रीत सिंह ने कहाकि सेना में भर्ती के इच्छुक युवा 3-3, 4-4 वर्ष तक तयारी करते हैं और अपने शरीर को विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा के लिए समर्पित करने के योग्य बनाते हैं
सेना में 4 वर्षीय भर्ती की अग्निपथ योजना को युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली करार देते हुए एडवोकेट व युवा इनैलो नेता दमनप्रीत सिंह ने कहाकि सेना में भर्ती के इच्छुक युवा 3-3, 4-4 वर्ष तक तयारी करते हैं और अपने शरीर को विषम
परिस्थितियों में भी देश की रक्षा के लिए समर्पित करने के योग्य बनाते हैं ऐसे में भर्ती के मात्र 4 वर्षो के बाद ही सेवा से रिटायर करने की योजना से उनके उत्साह में कमी तो आएगी ही युवा निराश, हताश व बेरोजगार भी होगा। कितनी अजीब बात है कि 22
वर्ष का युवा रिटायर होगा और 75-80 वर्ष के नेता देश पर राज करेंगें। यह योजना युवाओ को देश के खर्च पर निजी छेत्र के लिए तैयार करने की योजना लगती है। किसी भी छेत्र में अस्थायी, समयबधित या ठेके के कर्मचारी उस क्षमता, योग्यता व लग्न से कार्य
नही करते जिस क्षमता से स्थाई कर्मचारी करते हैं। हमारे सविंधान में लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के लिए भी 5 वर्ष का समय निर्धारित किया गया है ताकि नवनिर्वाचित नेता अपनी योजना व योग्यता के अनुसार देश व प्रदेश का विकास कर सकें। लेकिन सेना
क्योकि देश की रक्षा से जुड़ा छेत्र है इसलिए इस छेत्र में किसी प्रकार की कमी छोड़ना या प्रयोग करना देश हित मे नही होगा। अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन कर रहे युवाओं को शांतिप्रिय ढंग से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की अपील करते
हुए उन्होंने कहाकि सरकार को अग्निपथ योजना लागू करने की बजाए सेना में खाली पड़ी नियमित स्थायी भर्ती करनी चाहिए। इस योजना के सम्बंध में इनैलो पार्टी का स्टैंड बिल्कु स्पष्ट है इसीलिए इस योजना को वापिस लेने के लिए बुधवार को इनेलो के प्रतिनिधि
मंडल ने हरियाणा के राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया था। यह योजना जमीनी हकीकत से परे है। युवावर्ग नौकरी पाने के लिए कड़ा संघर्ष व मशक्त करते हैं और अक्सर ऐसी नौकरियां लेने के लिए मजबूर होते हैं जो उनकी योग्यता और क्षमता से काफी कम होती
हैं। प्रत्येक चार साल के बाद भर्तियों की संख्या के कम से कम 75 प्रतिशत सैनिकों को नौकरी से रिटायर कर दिया जाएगा, उसके बाद वो क्या करेंगे ? यह ध्यान में रखना भी महत्वपूर्ण है कि उन्हें जुझारू भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और
अगर उन्हें बड़ी संख्या में निराश बेरोजगारों की श्रेणी में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया तो परिणाम विनाशकारी भी हो सकते हैं। देश और युवाओं के हित में सेना में सुरक्षा व भर्ती की ठोस व कारगर नीति की आवश्यकता है
न कि अस्थाई व अन्य देशों में विफल सेनाओं के मॉडल का अनुसरण करने की। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने रिटायर होने वाले युवा फौजियों को हरियाणा सरकार में स्थाई नोकरी देने की बात कही है
जोकि सराहनीय है लेकिन 2022 में भर्ती होने वाला युवा 2026 में रिटायर होगा और मोजूदा सरकार का शासन 2024 तक है, इस बात की क्या गारंटी है
कि मोजूदा सरकार ही 2024 में पुनः बहुमत प्राप्त करेगी। फिर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी भर्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा तय कर रखी है तो फिर इन रिटायर युवा फौजियों को किस नियम के तहत नोकरी दी जाएगी जबकि इस सम्बंध में कोई
कानूनी प्रावधान नही किया गया जिससे योजना को अमली जामा पहनाया जा सके। इसलिए यह घोषणा भी 15 लाख रुपये देने की तरह जुमला हो सकती है।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि देश व युवाओ के हित मे सेना में भर्ती की स्थाई योजना बनाई जाए ताकि देश व युवा दोनो का हित व भविष्य सुरक्षित हो सके।