गरीब के दान की महिमा
नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा - यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ.. बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे।उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया, तो मैंने मना कर दिया। मैं ये नहीं ले
*गरीब के दान की महिमा