बांके बिहारी मंदिर में नहीं होती लाउडस्पीकर पर आरती -नहीं बजते घंटे घड़ियाल; प्रेम के भाव से करते हैं लाडले की आराधना
वृंदावन, 29 अप्रैल )। इस समय देश में लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जो अब कुरान और हनुमान चालीसा पर आ गई है।
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वृंदावन, 29 अप्रैल । इस समय देश में लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जो अब कुरान और
हनुमान चालीसा पर आ गई है।
इस विवाद के बीच धर्मनगरी वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर एक ऐसा मंदिर है।
जहां लाउडस्पीकर का कोई काम नहीं। कोई विवाद ही नहीं है क्योंकि यहां तो बांके बिहारी विराजते हैं। जिन्हें सिर्फ
प्रेम की भाषा आती है... शोर की नहीं। इसलिए यहां भगवान की आरती भी बिना शोर होती है। यहां लाउडस्पीकर
तो दूर, आरती के समय घंटे घड़ियाल भी नहीं बजते। कुछ सुनाई देता है, तो सिर्फ भक्तों की पुकार अपने भगवान
के लिए।
ब्रजभूमि के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। भगवान बांके बिहारी को
स्वामी हरिदास ने अपनी संगीत साधना से प्रकट किया था।
स्वामी हरिदास तुलसी वन के बीच रहते थे। स्वामी
हरिदास की संगीत साधना से प्रकट हुए
बांके बिहारी की वह लाड (प्यार) से आराधना करते थे। यही भाव आज भी
बांके बिहारी के भक्तों में है।
भगवान बांके बिहारी की हर रोज तीन बार आरती की जाती हैं। पहली आरती सुबह श्रृंगार के बाद, दूसरी दोपहर में
विश्राम के बाद राजभोग आरती और तीसरी रात को शयन के समय शयन आरती। इसके अलावा वर्ष में एक बार
यहां जन्माष्टमी के अवसर पर मंगला आरती होती है।
यहां आरती का गायन होता है। इस दौरान न यहां घंटे बजते हैं और न घड़ियाल। इतना ही नहीं, यहां इस दौरान
ताली भी नहीं बजाई जाती।
इसके पीछे भाव है कि भगवान बांके बिहारी की स्वामी हरिदास ने केवल राग सेवा की
थी।
-मंदिर में लगे हैं दो लाउड स्पीकर
बांके बिहारी मंदिर में ऐसा नहीं है कि लाउडस्पीकर नहीं लगे हैं।
यहां दो लाउडस्पीकर लगे हुए हैं। लेकिन, उनका
प्रयोग मंदिर के सुरक्षा कर्मी पब्लिक एड्रेस के लिए करते हैं।
इसके अलावा इन लाउडस्पीकर से किसी तरह के
भजन या आराधना नहीं की जाती है। इतना ही नहीं, इन लाउडस्पीकर की आवाज मंदिर परिसर के अंदर ही रहती
है।
-बिहारी जी को निहारा जाता है दिल से
बांके बिहारी मंदिर में आराधना के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं होने के बारे में मंदिर के सेवायत गोपी
गोस्वामी ने बताया कि यहां भगवान की आराधना भाव से होती है। स्वामी हरिदास जी ने भगवान बांके बिहारी की
राग सेवा की है, यानि पद गाए हैं।
यहां भक्त भगवान को दिल से निहारते हैं। इसलिए लाउडस्पीकर की जरूरत ही
नहीं हैं। मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि बांके बिहारी जी की सेवा भाव की सेवा पूजा है। भगवान की
सेवा में किसी प्रकार का विघ्न न हो।
यहां जो लाउडस्पीकर का प्रयोग होता केवल पब्लिक एनाउंसमेंट के लिए होता
है।