छेड़खानी के आरोप में ससुर को मिली एक साल की कैद रद्द
नई दिल्ली, । बेटे की पत्नी के साथ छेड़खानी के मामले में निचली अदालत द्वारा बुजुर्ग को सुनाई गई एक साल की साधारण कैद की सजा को सत्र अदालत ने रद्द कर दिया है।
नई दिल्ली, बेटे की पत्नी के साथ छेड़खानी के मामले में निचली अदालत द्वारा बुजुर्ग को
सुनाई गई एक साल की साधारण कैद की सजा को सत्र अदालत ने रद्द कर दिया है।
अदालत ने कहा कि निचली
अदालत ने अहम साक्ष्यों को नजरअंदाज कर बुजुर्ग को सजा सुनाई, जोकि पूरी तरह गलत है।
साकेत स्थित प्रिंसीपल जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरौत्तम कौशल की अदालत ने बुजुर्ग की सजा को रद्द करते हुए
कहा कि यह मामला पूरी तरह बदले की प्रवृति का था। परंतु संबंधित निचली अदालत ने उन तथ्यों की अनदेखी
कर दी, जोकि मामले को सही दिशा में ले जाते। महिला ने अपने ससुर पर तब छेड़खानी के आरोप लगाए जब
ससुर बहू-बेटे के खिलाफ पहले ही कानूनी कदम उठा चुका था। ससुर ने इस प्राथमिकी के दर्ज होने से काफी पहले
बहू-बेटे को अपनी संपति से बेदखल कर दिया था। उसने अदालत में याचिका दायर कर बहू-बेटे द्वारा खुद को
खतरा होने का संदेह जारी किया था। इस पर संबंधित अदालत ने रिपोर्ट तलब की थी। इससे पहले की ससुर की
याचिका पर अदालत सुनवाई कर पाती। बहू ने ससुर के खिलाफ शाारीरिक छेड़खानी जैसे गंभीर आरोप लगा दिए।
इसलिए सत्र अदालत ने निचली अदालत के आदेश को बेबुनियाद करार देते हुए बुजुर्ग को सुनाई गई सजा को रद्द
कर दिया।
बहू ने अपने ससुर के खिलाफ 15 नवंबर 2013 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बहू का आरोप था कि उसकी शादी
2010 में हुई थी। ससुर की उस पर पहले से ही बुरी नियत थी। घटना वाले दिन ससुर ने उसके साथ शारीरिक
छेड़खानी की।