दनकौर में चल रहे कृष्ण जन्माष्टमी मेले में खुले आम हो रहा है पर्यावरण प्रदूषण
द्रोण नगरी दनकौर में चल रहे स्वर्णजयंती मेले में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जहाँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली प्लास्टिक की पिन्नी पर सरकार ने रोक लगा रखी है वही मेले में प्लास्टिक की पिन्नी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रब है
खुले आम हो रहा है पर्यावरण प्रदूषण
द्रोण नगरी दनकौर में चल रहे स्वर्णजयंती मेले में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जहाँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली प्लास्टिक की पिन्नी पर सरकार ने रोक लगा रखी है वही मेले में प्लास्टिक की पिन्नी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रब है।
दनकौर नगरपंचायत द्वारा इन पिन्नी की कूड़े में इकट्ठा कर के तिरंगा चोक के पास खुले में फेंक दिया जाता है। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है।
सरकारी मानकों को ताक पर रख कर मेले में उपयोग होने वाले जनरेटर में चिमिनी का प्रयोग नही किया जा रहा है। जिससे जनरेटर का धुआं मेले में आने वाले लोगो को बीमार कर रहा है।
मेला देखने आने वाले दर्शक अपने वाहनों के पार्किंग में न लगा कर मेले के आसपास की गलियों में अपनी मोटरसाइकिल को पार्किंग कर देते है जिससे आसपास रहने वाले लोगो का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। आलम तो ये है कि आपातकालीन स्थिति में अपनी गाड़ी भी नही निकाल सकते है।
मेले में दूर से आने वाले दुकानदारों के लिए अस्थ्ययी शौचालय की व्यवस्था भी मेला कमेटी के द्वारा नही की गयी है।
पीने के पानी के टैंकर की व्यवस्था भी मेले कमेटी के द्वारा नही की गई है।
साउंड की ध्वनि तीव्रता सरकारी मानको के अनुसार 65 डेसीमल से ज्यादा नही होनी चाहिए मेले में लगे साउंड की तीव्रता 65 डेसीमल से कही ज्यादा है।