दो धरने के बाद खाली दोनों हाथ

ठीक नौ दिन बाद आज फिर किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर धरना दिया। पहले की अपेक्षा कम किसान और कम नेता धरने पर पहुंचे।

दो धरने के बाद खाली दोनों हाथ

ठीक नौ दिन बाद आज फिर किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर धरना दिया। पहले की अपेक्षा कम किसान और कम नेता धरने पर पहुंचे।गत 14 मार्च को जब किसान धरना देने आए थे

तो उन्हें आज के लिए सीईओ से वार्ता कराने का आश्वासन दिया गया था। वार्ता हुई। डॉ रूपेश वर्मा के नेतृत्व में पैंतालीस किसानों का प्रतिनिधिमंडल एक तरफ तो दूसरी तरफ सीईओ ऋतु माहेश्वरी और अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आनंद वर्धन। वार्ता से क्या

हासिल हुआ? किसानों की आबादी,बैकलीज, उन्हें दिए जाने वाले आवासीय भूखंड, आवासीय भूखंड योजना में उनकी हिस्सेदारी और रोजगार जैसे मुद्दों पर चर्चा का परिणाम यह निकला कि प्राधिकरण ने अधिकांश मुद्दों को सिरे से खारिज कर दिया और

आबादी,बैकलीज जैसे मुद्दों पर वर्तमान में चल रही कार्रवाई से अवगत करा दिया। क्या दो दिन धरना देने के बाद यही परिणाम अपेक्षित था? मैंने पिछले धरने से संबंधित पोस्ट में लिखा था कि प्राधिकरण किसानों की एकता और संगठन को तौल रहा है। आज के

धरने में किसानों की कम उपस्थिति और कुछ नेताओं की गैर मौजूदगी से प्राधिकरण को किसानों और किसान नेताओं की शक्ति का आभास मिल गया होगा।

हालांकि इस धरने के आयोजक रूपेश वर्मा ने आगामी रविवार को ही एक बैठक कर भावी रणनीति तैयार करने की बात कही है। प्राधिकरण को इसकी कितनी चिंता है?(