ब्रज वृन्दावन और श्रीराधा-कृष्ण के अनन्य उपासक थे स्वामी कपिलानंद महाराज

वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में चल रहे ब्रह्मलीन स्वामी कपिलानंद महाराज के त्रिदिवसीय तिरोभाव महोत्सव के दूसरे दिन स्वामी कपिलानंद महाराज की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य उनका पूजन-अर्चन किया गया।

ब्रज वृन्दावन और श्रीराधा-कृष्ण के अनन्य उपासक थे स्वामी कपिलानंद महाराज

ब्रज वृन्दावन और श्रीराधा-कृष्ण के अनन्य उपासक थे स्वामी कपिलानंद महाराज 

वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में चल रहे ब्रह्मलीन स्वामी कपिलानंद महाराज के त्रिदिवसीय तिरोभाव महोत्सव के दूसरे दिन स्वामी कपिलानंद महाराज की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य उनका पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही विश्व कल्याण हेतु चल रहे वृहद महायज्ञ में अनेक प्रख्यात संतों, विप्रों एवं भक्तों-श्रृद्धालुओं ने पूर्णाहुति दी।


इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर साध्वी राधिका साधिका पुरी जटा वाली मां ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव स्वामी कपिलानंद महाराज ने ही श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम की स्थापना की थी।वे ब्रज वृन्दावन और श्रीराधा-कृष्ण के अनन्य उपासक थे।उन्होंने श्रीकृष्ण भक्ति की लहर को समूचे देश में प्रवाहित कर असंख्य व्यक्तियों का कल्याण किया।महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज एवं स्वामी भुवनानन्द महाराज ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन संतों व प्रभु भक्तों की भूमि है।इस भूमि पर तमाम ऐसे संत विराजमान हैं,जो अपने तपोबल व साधना की शक्ति से असंख्य व्यक्तियों का कल्याण करते हैं। स्वामी कपिलानंद महाराज ऐसे ही दिव्य संत थे, जिन्होंने श्रीधाम वृन्दावन में रहकर कठोर भगवदसाधना के बल पर श्रीराधाकृष्ण का प्रत्यक्ष दर्शन किया था।


प्रमुख बसपा नेता देवी सिंह कुंतल एवं वरिष्ठ भाजपा नेता रामदेव सिंह भगौर ने कहा कि स्वामी कपिलानंद महाराज संत समाज के सिरमौर थे।उनके रोम-रोम में संतत्व विद्यमान था।उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्प श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में आज भी पूर्ण समर्पण के साथ संचालित किए जा रहे हैं।वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं भागवताचार्य साध्वी आशानन्द शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी कपिलानंद महाराज परम् भजनानंदी व वीतरागी संत थे।वे संत होते हुए भी समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणीय थे।इसी के चलते वे अपने सम्पर्क में आने वाले सभी निर्धनों व दीन-दुखियों की सेवा पूर्ण निष्ठा व समर्पण के साथ किया करते थे।   


इस अवसर पर महंत बाबा संतदास महाराज, साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया, स्वामी गीतानंद महाराज, अनिल अग्रवाल, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, पुरुषोत्तम गौतम, पप्पू सरदार, पूनम उपाध्याय, बी.के. सूतैल, सुमन सूतैल, पवन गौतम, राम प्रकाश सक्सैना, विनय लक्ष्मी सक्सैना, लक्ष्मी शर्मा, साध्वी पूर्णिमा साधिका, साध्वी विभावती साधिका, साध्वी कमला साधिका, साध्वी नमिता साधिका, राजकुमार शर्मा एवं राजू शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।


महोत्सव के अंतर्गत सैकड़ों संतों, विप्रों ,निर्धनों व निराश्रितों को ऊनी वस्त्र व खाद्यान्न सामग्री वितरित की गई।साथ ही संत-ब्रजवासी-वैष्णव सेवा व वृहद भंडारा भी हुआ।