मोहल्ला स्तर पर पशु अधिकार रक्षा समूह बनाये जायें

उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में मानव बस्तियों के आसपास रहने वाले बेघर जानवरों के जीवन के अधिकारों की बात कही थी। कोर्ट का कहना था कि बस्ती, मोहल्ले और कॉलोनियों के आसपास रहने वाले कुत्तों को सामुदायिक (कम्युनिटी) डॉग्स का दर्जा मिलना चाहिए।

टॉकिंग पॉइंट्स 

 

मोहल्ला स्तर पर पशु अधिकार रक्षा समूह बनाये जायें

 

नरविजय यादव

 

मानवाधिकारों की बात सुनते अरसा हो गया, लेकिन पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और नदियों के अधिकारों का क्या? उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नदियों को भी एक जीवित व्यक्ति मानने का आदेश जारी किया था और कहा था कि नदी के अधिकारों की चिंता वैसे ही की जाये जैसे एक व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की जाती है। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में मानव बस्तियों के आसपास रहने वाले बेघर जानवरों के जीवन के अधिकारों की बात कही थी। कोर्ट का कहना था कि बस्ती, मोहल्ले और कॉलोनियों के आसपास रहने वाले कुत्तों को सामुदायिक (कम्युनिटी) डॉग्स का दर्जा मिलना चाहिए। प्राचीन काल में मनुष्य ने कुत्तों को रखवाली और चौकीदारी के लिए पालतू बनाया था और उन्हें शिकार करने साथ ले जाता था। दोस्ती और सहभागिता का यह रिश्ता सदियों से चला आ रहा है। परंतु, आज सुख-सुविधाओं के गरूर में डूबा मानव अपने इन पुराने साथियों की अनदेखी और बेकदरी कर रहा है। बिना कुछ खाये, बगैर शाबाशी के ये जीव आज भी रात को मुफ्त में गली-मोहल्ले की पहरेदारी करके घरों की रक्षा करते हैं। लेकिन अहसान फरामोश मनुष्य इन्हें दुत्कारते और भगाते रहते हैं।

 

एक ट्विटर चैट में बेघर जानवरों, खासकर सामुदायिक कुत्तों के अधिकारों और उनकी मदद के विषय पर देश भर के अनेक विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। एक अहम सलाह यह निकल कर सामने आयी कि देश भर के पशु प्रेमियों और दयालु लोगों को मोहल्ला स्तर पर समान सोच के लोगों के छोटे समूह बनाने चाहिए। ये छोटे समूह कम से कम अपनी गली और पड़ोस के जानवरों की रक्षा, चिकित्सा, नसबंदी, सर्दी गर्मी और भूख प्यास व अधिकारों की चिंता कर सकते हैं और मिल जुल कर उनके जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास कर सकते हैं। हर दस बीस मकानों वाली गली में तीन चार दयालु और पशु प्रेमी तो मिल ही जाते हैं। इन्हें आपस में संपर्क में रहना चाहिए और एक दूसरे की मदद से आस पड़ोस के जीवों की सहायता करनी चाहिए। एकता में शक्ति होती है, इसलिए इनकी मौजूदगी से एनिमल हेटर्स की हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वे अपनी बुरी नजरें इन बेजुबानों पर डाल पायें। खुद मेरी बेटी ने आसपास की तीन मादा डॉग्स की नसबंदी करवा कर उन्हें जीवन दान दिया। जब एक अकेली लड़की ऐसा कर सकती है, तो सोचिए चार पांच लोगों का समूह क्या नहीं कर सकता।

 

सर्दियों में और बारिश के समय मोहल्ला पड़ोस के डॉग्स की मदद कैसे की जाये? मैंने देखा है कि मेरे पड़ोस के दो घरों के दयालु लोगों ने स्ट्रीट डॉग्स के बैठने के लिए अपने गैराज के बाहर पुराने गद्दे बिछा दिये हैं और वे हेटर्स से उनकी रक्षा भी करते हैं। हेटर्स अपना कर्मा तो खराब करते ही हैं, वे पूरे माहौल को भी विषैला और निगेटिव बना देते हैं। ऐसे में, एनिमल लवर्स को एकजुट होकर रहना चाहिए और अपने ग्रुप में अधिक से अधिक साथियों को शामिल करते रहना चाहिए। एक अच्छा सुझाव यह भी आया कि बेघर कुत्तों को जैकेट या स्वेटर न पहनाये जायें, क्योंकि ये किसी कार में फंस कर जानवर की मृत्यु का कारण बन सकते हैं। इसके बजाय जानवरों के खाने पीने का ध्यान रखा जाये, जिससे वे स्वस्थ और मित्रवत रहें। अधिक से अधिक लोगों को दयावान बनने की जरूरत है।

--

 

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com