राष्ट्रपति चुनाव : 21 जून को विपक्ष की बैठक में ममता के शामिल होने की संभावना नहीं
कोलकाता, 19 जून (। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से निर्धारित कार्यक्रम के कारण आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 21 जून को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई
कोलकाता, 19 जून (। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से निर्धारित कार्यक्रम के कारण
आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 21 जून को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई
विपक्ष की बैठक में संभवत: भाग नहीं ले पाएंगी। तृणमूल कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने रविवार को यह जानकारी
दी। पदाधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित बैठक में तृणमूल कांग्रेस का कोई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेगा।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण बैठक में
शामिल नहीं हो पाएंगी।
उन्होंने शरद पवार जी को भी बता दिया है, लेकिन हमारी पार्टी का एक नेता वहां मौजूद
रहेगा।’’
आगामी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए 15 जून को दिल्ली में बनर्जी द्वारा बुलाई गई इस तरह
की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि ‘‘देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को बकरार’’ रखने वाला एक साझा
उम्मीदवार विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा। बैठक में करीब 17 दलों ने भाग लिया था।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद)
और वाम दलों के नेता इस बैठक में शरीक हुए, जबकि आम आदमी पार्टी (आप), तेलंगाना राष्ट्र समिति
(टीआरएस), शिरोमणि
अकाली दल (शिअद), एआईएमआईएम और बीजू जनता दल (बीजद) ने इससे दूरी बनाए
रखना मुनासिब समझा।
शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-माले, नेशनल कॉन्फ्रेंस,
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जनता दल (सेक्यूलर), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), इंडियन
यूनियन मुस्लिम लीग, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी बैठक में शरीक हुए।
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और उनके उत्तराधिकारी के लिए
18 जुलाई को चुनाव होना है। राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के
दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के
निर्वाचित सदस्य होते हैं।
राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र
नहीं हैं, इसलिए वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते। इसी तरह विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति
चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं। लगभग 10.86लाख मतों के निर्वाचक मंडल में भाजपा के नेतृत्व वाले
गठबंधन के पास 48 प्रतिशत से अधिक मत होने का अनुमान है
और उसे कुछ क्षेत्रीय दलों से समर्थन मिलने की
उम्मीद है।