हिंदी अकादमी, दिल्ली और लक्ष्मीबाई कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय : दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

विज्ञान और धर्म के सामंजस्य की चर्चा कामायनी और राम की शक्ति पूजा कविता के माध्यम से की तो प्रो. अनिल राय ने साहित्य और धर्म को मध्यकालीन भक्ति काव्य के द्वारा

हिंदी अकादमी, दिल्ली और लक्ष्मीबाई कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय : दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

आज का मुद्दा (सुभाष वशिष्ठ )

हिंदी अकादमी, दिल्ली और लक्ष्मीबाई कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में  हिंदी साहित्य : भाषा राजनीति,धर्म और दर्शन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के सभागार मे किया गया।


लक्ष्मीबाई कॉलेज और हिंदी अकादमी, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में सचिव संजय कुमार गर्ग की प्रेरणा से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 28 -29 नवंबर को हिंदी साहित्य: भाषा, राजनीति, धर्म और दर्शन विषय पर किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थियों के भाग लिया। 19 विद्वान वक्ताओं ने विभिन्न सत्रों में इस प्रासंगिक विषय पर विस्तार से चर्चा की।


कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ। उद्घाटन सत्र में कॉलेज प्राचार्य प्रो. प्रत्यूष वत्सला, हिन्दी अकादमी,दिल्ली के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा, प्रो. प्रकाश नारायण, प्रो. सुधीश पचौरी, प्रो. निरंजन, प्रो विमलेश कांति वर्मा सहित कई प्रसिद्ध विद्वान वक्ताओं ने साहित्य और भाषा पर विस्तार से चर्चा की।


प्रो. प्रकाश नारायण ने हिन्दी भाषियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खतरों के प्रति सचेत और तैयार रहने को कहा वही प्रो. निरंजन ने साहित्य में भारत बोध की बात की। प्रसिद्ध समीक्षक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व डीन ऑफ कॉलेज प्रो. सुधीश पचौरी ने संरचनावाद और आधुनिकता पर चर्चा की।कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी अकादमी के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा ने कहा हिंदी अकादमी का उद्देश्य युवाओं मे हिंदी के प्रति प्रेम और गौरव कि भावना का संचार करना है।

दूसरे सत्र में साहित्य और दर्शन पर दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एच. एस.प्रसाद ने बौद्ध दर्शन पर , जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के राम नाथ झा ने वेदांत दर्शन और साहित्य पर बात की। कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रथम सत्र में प्रो. संजय कुमार, साहित्यकार और विधायक दिलीप पांडेय, प्रभात खबर से कल्लोल चक्रवर्ती और हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से प्रो. वीरपाल सिंह उपस्थित रहे।

प्रो. संजय कुमार ने साहित्य के मार्क्सवादी समीक्षा पर बात की। दिलीप पांडेय ने साहित्यकार की सजता और उसकी जिम्मेदारी के सवाल को प्रमुखता दिया। प्रो. वीरपाल सिंह ने स्वतंत्रता के इतिहास में जाकर साहित्य और राजनीति के सकारात्मक संबंध को उजाकर किया।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में साहित्य और धर्म पर विद्वान वक्ताओं ने बात की। इसमें हिन्दू कॉलेज से प्रो. रामेश्वर राय, स्टीफेन कॉलेज से डॉ पंकजा मिश्र, प्राचार्य प्रत्यूष वत्सला और प्रो. अनिल राय उपस्थित रहे।

प्रो. राय ने विज्ञान और धर्म के सामंजस्य की चर्चा कामायनी और राम की शक्ति पूजा कविता के माध्यम से की तो प्रो. अनिल राय ने साहित्य और धर्म को मध्यकालीन भक्ति काव्य के द्वारा समझाया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ राहुल राज आर्यन ने सभी शामिल लोगों, हिंदी अकादमी और विद्वत समूह का धन्यवाद ज्ञापन किया।कार्यक्रम संयोजक मंडल में विभाग प्रभारी डॉ प्रमिला, डॉ राहुल राज आर्यन, डॉ सत्यवत यादव, डॉ प्रियंका,  डॉ. रजत और श्री अनंत कुमार मिश्र शामिल रहे।शोधार्थियों ने शोध आलेख का भी पाठ किया।