अपने ही डुबो सकते हैं भाजपा की नैया

दादरी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद हेतु तीसरी बार भाजपा प्रत्याशी बनी गीता पंडित के लिए इस चुनाव में पार्टी के परंपरागत वैश्य और ब्राह्मण वोटों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

अपने ही डुबो सकते हैं भाजपा की नैया

-राजेश बैरागी- 


 दादरी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद हेतु तीसरी बार भाजपा प्रत्याशी बनी गीता पंडित के लिए इस चुनाव में पार्टी के परंपरागत वैश्य और ब्राह्मण वोटों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

पार्टी के एक सबसे पुराने और कद्दावर नेता जगभूषण गर्ग के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरने और उनको मिल रहे भारी समर्थन ने पार्टी नेतृत्व की पेशानी पर बल ला दिए हैं।


दो बार से निरंतर दादरी नगर पालिका परिषद का चुनाव जीतती आ रही गीता पंडित को पिछले चुनाव में मामूली अंतर (16 सौ वोट) से जीत मिली थी।उस चुनाव में उनके पति की हत्या से उपजी सहानुभूति की भी भूमिका थी। बीते पांच वर्षों में बहुत कुछ

बदल चुका है। सहानुभूति का अब कोई अर्थ नहीं है। पालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है। पालिका की आय को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्हें ही इस बार भी प्रत्याशी बनाने को लेकर कई वर्गों में गहरा आक्रोश है। भाजपा के सबसे पुराने और कद्दावर नेता

जगभूषण गर्ग ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोंक दी है। उनके नामांकन में जुटी भीड़ ने भाजपा के प्रभाव को ठेंगा दिखा दिया है।

जगभूषण गर्ग स्थानीय भाजपा सांसद और विधायक पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाते हैं। यह पूछने पर कि भ्रष्टाचार के आरोप होने के बावजूद गीता पंडित को प्रत्याशी बनाए जाने का क्या कारण हो सकता है? जगभूषण गर्ग कहते हैं कि गीता पंडित, स्थानीय

विधायक और सांसद का एक समूह है। उन्होंने सभी सर्वसमाज के साथ भाजपा संगठन के पूरे समर्थन का दावा किया। वैश्य और ब्राह्मण समाज के प्रमुख लोग भी उनके दावे का समर्थन करते दिखाई देते हैं। इससे भाजपा नेताओं के लिए मुसीबत खड़ी हो

सकती है। हालांकि उनपर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को मदद पहुंचाने के आरोप भी लग रहे हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने सपा प्रत्याशी द्वारा उनसे संपर्क कर मदद मांगने की बात स्वीकार भी की